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BJP Delhi President Virendra Sachdeva on Anil Jha: दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। नेताओं का दल बदलने का सिलसिला जारी है, जिससे बड़ी पार्टियां आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस चुनावी रणनीतियां बदलने पर मजबूर हो गई हैं। क्योंकि हरियाणा और जम्मू और कश्मीर के चुनाव के बाद साफ हो गया है कि यहां इंडिया ब्लॉक के तहत चुनाव नहीं होंगे। इसी के साथ ही दिल्ली की सियासत में रविवार को बड़ा हलचल देखने को मिला। जहां आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत ने इस्तीफा दिया, वहीं बीजेपी के पूर्व विधायक अनिल झा ने आप में शामिल होने का ऐलान कर नई चर्चा छेड़ दी।  

आप में शामिल हुए अनिल झा
 
पूर्व विधायक और बीजेपी नेता अनिल झा ने अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। इस मौके पर झा ने कहा कि वह अरविंद केजरीवाल की काम करने की नीति और गरीबों व दलितों के हित में किए गए कामों से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बीजेपी पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि पार्टी में उनकी बातों को अनसुना किया गया।  

वीरेंद्र सचदेवा का दावा: 'झा वापस आएंगे'
  
बीजेपी नेताओं ने अनिल झा के इस कदम को गलत ठहराया। दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि झा ने आम आदमी पार्टी में शामिल होकर गलती की है। उन्होंने कहा कि अनिल झा को शायद लगता है कि उन्हें इससे राजनीतिक फायदा होगा, लेकिन यह उनकी गलतफहमी है। साथ ही दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अनिल झा की वापसी का संकेत देते हुए कहा कि मैं झा को कई सालों से जानता हूं। पिक्चर अभी बाकी है, आप देखेंगे कि वह बीजेपी में वापस लौट आएंगे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल

दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी उथल-पुथल तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी और बीजेपी, दोनों ही अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में जुटी हैं। कैलाश गहलोत के इस्तीफे और अनिल झा के आप में शामिल होने की घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि चुनावी बिसात पर नए समीकरण बनने लगे हैं। वहीं, अनिल झा का आप में जाना न केवल बीजेपी बल्कि आप के लिए भी एक बड़ा घटनाक्रम है। जहां बीजेपी इसे आंतरिक मुद्दे के तौर पर देख रही है, वहीं आम आदमी पार्टी इसे अपनी राजनीतिक मजबूती के रूप में पेश कर रही है। इन्हीं के साथ दिल्ली की राजनीति में बदलाव की बयार शुरू हो चुकी है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए यह घटनाएं बड़े बदलाव का संकेत दे सकती हैं। 

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