Ab Nahin Sahenge Badal Ke Rahenge: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया है। पार्टी ने 'अब नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे' नारे के साथ आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ परिवर्तन यात्रा शुरू करने की घोषणा की है। बीजेपी का कहना है कि जनता पिछले दस सालों से कुशासन का सामना कर रही है। अगर दिल्ली को विकास के पथ पर दौड़ाना चाहते हैं, तो यह काम सिर्फ और सिर्फ बीजेपी ही कर सकती है।
बीजेपी का नया नारा और मकसद
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह नारा दिल्ली की जनता की आवाज है। लोग टूटी सड़कों के साथ ही साथ गंदे पानी, और प्रदेश में भ्रष्टाचार से बेगद परेशान हैं। वे इस भ्रष्टाचारी सरकार से आजादी चाहते हैं। सचदेवा ने दावा किया कि भाजपा के संकल्प पत्र के लिए किए गए सर्वे में लोगों ने आम आदमी पार्टी सरकार को हटाने और दिल्ली में विकास लाने की मांग की।
परिवर्तन यात्रा का ऐलान- भाजपा
बीजेपी ने 8 दिसंबर से 'परिवर्तन यात्रा' की शुरुआत करने का ऐलान किया है। यह यात्रा दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों से गुजरेगी। इस यात्रा का नेतृत्व प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा करेंगे। यात्रा के संचालन के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को सौंपी गई है।
27 सालों से सत्ता से दूर बीजेपी
भाजपा पिछले 27 सालों से दिल्ली की सत्ता से दूर है। 1998 में सुषमा स्वराज की हार के बाद से पार्टी ने कभी सत्ता में वापसी नहीं की। ऐसे में इस परिवर्तन यात्रा को पार्टी के लिए अहम माना जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी, जो दिल्ली में पूर्ण बहुमत से लगातार दो बार सत्ता में रही है, तीसरी बार जीत की हैट्रिक बनाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 'रेवड़ी पर चर्चा' अभियान की शुरुआत की है, जो 10 दिसंबर तक चलेगा। इसी के साथ, कांग्रेस भी दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए 'न्याय यात्रा' कर रही है। हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने अब तक इस यात्रा में हिस्सा नहीं लिया है।
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बज चुका है चुनाव का बिगुल
विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि दिल्ली चुनाव में भाजपा, AAP, और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है। भाजपा के लिए सत्ता में वापसी की राह कठिन है, लेकिन 'परिवर्तन यात्रा' और नए नारों के जरिए पार्टी जनता से जुड़ने का प्रयास कर रही है। इन सबके साथ दिल्ली चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा अपने नए नारों और अभियानों के साथ मैदान में है। अब देखना यह होगा कि जनता 'परिवर्तन' चाहती है या 'सत्ता का स्थायित्व'।
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