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MCD Standing Committee Election: दिल्ली एमसीडी के स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव हो गया है। बिना किसी विरोध के बीजेपी ने इस चुनाव को जीत लिया है, बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में कुल 115 वोट पड़े हैं।

MCD Standing Committee Election: भारी विवाद के बीच बीजेपी ने स्टैंडिंग कमेटी की चुनाव कराई और इसे जीत लिया है। बीजेपी प्रत्याशी सुंदर सिंह विजेता बने हैं, जिसके पक्ष में 115 वोट पड़े, उनके खिलाफ एक भी वोट नहीं गया। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी दोनों के पार्षदों ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था। ऐसे में बीजेपी के पार्षदों ने खुद ही वोट किया और खुद ही अपना 18वां स्टैंडिंग कमेटी का सदस्य चुन लिया है। कांग्रेस ने पहले ही इस चुनाव में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था, जबकि आप भी आज चुनाव कराए जाने के पक्ष में नहीं थी, इस कारण आप ने भी चुनाव से दरकिनार कर लिया और भाजपा ने चुनाव कराकर जीत लिया है।

मेयर AAP की लेकिन पावर बीजेपी के पास

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें कोई दोराई नहीं है कि आम आदमी पार्टी इस चुनाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगी। आप नेता ने यह दावा भी कर दिया है, लेकिन अगर कोर्ट से इस चुनाव को मान्यता मिल जाती है, तो आम आदमी पार्टी को स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर से हाथ धोना पड़ गया ह। इससे दिल्ली एमसीडी में आप का मेयर होने के बाद भी एमसीडी पर मजबूत पकड़ भाजपा की हो गई है। क्योंकि एमसीडी की ओर से सभी अहम परियोजनाओं का प्रस्ताव स्टैंडिंग कमेटी ही करती है। इसी कारण से सभी पार्टी स्टैंडिंग कमेटी में मेजॉरिटी चाहती है।

जितेंद्र यादव को बनाया पीठासीन अधिकारी

यकीनन भाजपा की ओर से कोर्ट में यह दलील दी जाएगी कि दिल्ली की मेयर और आप नेता शैली ओबेरॉय इस चुनाव को जानबूझकर अपने फायदे के लिए टाल दे रही थी, इस कारण से एलजी को आगे आकर चुनाव करवाना पड़ा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस दलील से कितना प्रभावित होता है, यह देखने वाली बात होगी। दिल्ली की मेयर और डिप्टी मेयर की अनुपस्थिति में अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव की मौजूदगी में यह चुनाव कराया गया है। उन्हें पीठासीन अधिकारी बनाया गया है।

आप नेताओं ने बीजेपी पर बोला हमला

गौरतलब है कि दिल्ली के मेयर शैली ओबेरॉय से लेकर पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तक यह दावा कर चुके हैं कि सदन बुलाने का अधिकार सिर्फ मेयर को होता है, या फिर जनता द्वारा चुने हुए किसी प्रतिनिधि का होता है। एलजी या फिर एमसीडी कमिश्नर को सदन बुलाकर चुनाव कराने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन फिर भी एलजी ने जबरन चुनाव कराई है। ऐसे में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सहमति के बिना कराए गए इस चुनाव को कानूनी मान्यता मिलती है या फिर नहीं इस पर सभी की नजर होगी। 

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