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 Delhi AIIMS News: दिल्ली एम्स में अब बीके वायरस की जांच कुछ ही घंटों में हो जाएगी। इससे किडनी ट्रांसप्लांट कम फेल होंगे।

Delhi AIIMS News: भारत में रहने वाले लगभग 2 लाख लोगों में किडनी खराब होने की समस्या देखने को मिलती है। इन सभी मरीजों को ट्रांसप्लांट या रोजाना डायलिसिस की जरूरत होती है। हालांकि, सिर्फ 12 हजार लोगों का ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाता हैं। लेकिन, किडनी मिलने के बाद भी कई कारणों से ट्रांसप्लांट फेल होने का डर बना रहता है। इनमें से एक वजह बीके वायरस है।

एम्स में घंटे भर में होगी बीके वायरस की जांच

दिल्ली एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, इन मरीजों का एक बड़ा प्रतिशत बीके वायरस से होने वाली किडनी संबंधित समस्या की वजह से ट्रांसप्लांट फेल होने की आशंका रहती है। खासतौर पर यह वायरस उन मरीजों में तेजी से फैलता है, जिनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है। अगर इस बीमारी का समय पर पता लग जाए, तो मरीजों का इलाज करके ट्रांसप्लांट को सफल बनाया जा सकता है। इस पर एम्स के एनाटॉमी विभाग की तरफ से एक ऐसी प्रणाली बनाई गई है, जिसके जरिए इस वायरस का 2 घंटे में पता लगाया जा सकता है। इसका नाम रिसर्च टीम की तरफ से नैनोएलएएमपी (लूप-मेडियेटेड इज़ोटेर्मल एम्प्लीफिकेशन) रखा गया है। 

5 से 10 प्रतिशत मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट फेल

बीके वायरस एक्टिव होने की वजह से किडनी से संबंधित बीमारी होने का डर बना रहता है। इससे हर साल 5 से 10 प्रतिशत मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट फेल हो जाता है। किडनी ट्रांसप्लांट के मरीजों में बीकेवीएएन को नियंत्रित करने के लिए किडनी के फंक्शन का जांच करने से लेकर बीके वायरस संक्रमण का जल्द पता लगाने की आवश्यकता होती है। इस समय वायरस का पता लगाने के लिए कई टेस्ट मौजूद हैं, लेकिन इनकी कीमत 5 हजार रुपये से ज्यादा होती है। बता दें कि इससे पहले भी एम्स अस्पताल ने मरीजों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है।

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