Chhath Puja 2024: दिल्ली में इस साल छठ पूजा बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाई गई। बिहार और पूर्वांचल का प्रमुख पर्व माने जाने वाले छठ में दिल्ली के अलग- अलग घाटों और जगहों पर श्रद्धालुओं ने पहुंचकर सूर्य को अर्घ्य दिया। राजधानी में जगह-जगह बने घाटों पर भक्तों ने पानी में खड़े होकर डूबते सूरज को नमन किया और अपनी श्रद्धा प्रकट की।

दिल्ली के किदवई नगर और चिराग दिल्ली में पूजा-अर्चना

ईस्ट किदवई नगर, आईटीओ छठ घाट और चिराग दिल्ली में छठ के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा हुए। भक्तों ने परंपरागत विधि से पूजा की और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। एक श्रद्धालु ने कहा, “यह हमारे लिए एक बड़ा पर्व है, आस्था का पर्व है। लोग पूरी श्रद्धा के साथ इसे मनाते हैं।”

अरविंद केजरीवाल ने किदवई नगर में मनाई छठ पूजा

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईस्ट किदवई नगर में छठ पूजा का आयोजन किया। उन्होंने लोगों के साथ मिलकर सूर्य को अर्घ्य दिया और कहा, "आज मैं यहां छठ पर्व मनाने आया हूं। यह पर्व पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जा रहा है। मैं सभी को दिल से शुभकामनाएं और बधाई देता हूं।"

मनीष सिसोदिया बोले, छठ आस्था का प्रतीक

आप नेता मनीष सिसोदिया ने छठ पर्व पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "छठ सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि हमारी आध्यात्मिक यात्रा का अहम हिस्सा है। देशभर में लोग इसे बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मना रहे हैं।" 

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने जताई चिंता

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने छठ पूजा के दौरान यमुना की सफाई को लेकर दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "छठ पूजा के कारण यमुना एक महीने तक साफ रहती है। छठ पूजा करने वाले भक्त घाटों की सफाई करते हैं, जिससे यमुना में गंदगी कम होती है। लेकिन बाकी 340 दिनों में यमुना को साफ रखने की जिम्मेदारी जिन पर है, वे कुछ नहीं कर रहे हैं।" मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, "दिल्ली सरकार का छठ पूजा पर रोक लगाने का प्रयास निंदनीय है। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि इसके माध्यम से यमुना की सफाई भी होती है।"

कालिंदी कुंज पर यमुना में अर्घ्य देने पहुंचे श्रद्धालु

दिल्ली के कालिंदी कुंज में यमुना नदी के तट पर भी बड़ी संख्या में भक्त एकत्र हुए। यहां श्रद्धालुओं ने पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया। प्रशासन ने भी घाटों पर विशेष इंतजाम किए थे ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।

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