मंगलवार को नहाए-खाए के साथ पूरे देश में छठ के त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। नहाए-खाए के बाद खरना और आज संध्या अर्घ्य के बाद कल सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर प्रसाद बांटकर त्योहार का समापन होगा। बाजारों, नदी के घाटों और कृत्रिम घाटों पर आज से ही रौनक देखने को मिल रही है। लोग शाम को अर्घ्य देने के लिए अपनी जगह चुनकर साफ-सफाई करके सजावट कर चुके हैं।

इस दौरान सुबह से ही छठ घाटों पर काफी रौनक देखने को मिल रही है। शाम को सूर्यास्त होने से पहले सभी छठवर्ती महिलाएं अपने परिवार के साथ घाटों पर पहुंच जाएंगी और सूर्य देव को अर्घ्य देंगी। हालांकि, आईएमडी का कहना है कि इस समय धुंध छाया रह सकता है और इस कारण सूर्य देव थोड़े मद्धम नजर आएंगे। आज दिल्ली में सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 32 मिनट बताया गया है। 

प्रकृति के साथ जल को भी दिया जाता है सम्मान

बता दें कि छठ के त्योहार पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। ये त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है। इसे प्रकृति का पर्व भी कहा जाता है। पहले दिन नहाए खाए, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या सूर्य अर्घ्य और चौथे दिन सूर्योदय को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान घाटों पर जाकर महिलाएं लोकगीतों के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। अधिकांश घाट नदियों, तालाबों, मंदिर, पार्क आदि में बनाए जाते हैं। प्रकृति के इस पर्व को घाटों पर करने का मकसद प्रकृति के साथ जल को भी सम्मान देना है। इसी कारण लोग पवित्र जल में खड़े होकर पूजा करते हैं। 

हाईकोर्ट ने यमुना पर पूजा करने की नहीं दी इजाजत

दिल्ली में काफी लोग यमुना जी में पूजा करते हैं, लेकिन कुछ सालों से यमुना के प्रदूषित होने के कारण उन्हें पूजा करने की इजाजत नहीं दी जाती है। दिल्ली के काफी छठवर्तियों का कहना है कि वो लोग पहले यमुना जी में छठ पूजा किया करते थे, लेकिन काफी समय से यमुना इतनी ज्यादा प्रदूषित हो गई हैं कि उसमें पूजा करना मुश्किल है। इसलिए लोग कृत्रिम घाट बनाकर छठ पूजा मनाते हैं। 

छठवर्तियों में मायूसी

इस बार भी हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यमुना नदी पर पूजा करने की इजाजत नहीं दी है। इसके कारण काफी छठवर्तियों में मायूसी देखने को मिली। लोगों ने बताया कि वो चार साल पहले तक हर साल अपने परिवार के साथ यमुना घाट पर पूजा करने के लिए जाया करते थे। उनका कहना है कि यमुना को साफ रखना चाहिए, ताकि किसी को भी प्रदूषण के कारण बीमारियां न झेलनी पडे़ और हम लोग भी धूमधाम से यमुना घाट पर छठ मना सकें। 

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