CM Arvind Kejriwal Press Conference on CAA: केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को देशभर में लागू कर दिया है। इसके लागू होने के बाद सियासत पूरी तरह से गरमाई हुई है। वहीं, केंद्र सरकार को अपने इस फैसले पर आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज नागरिकता संशोधन (CAA) कानून पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये वोट बैंक बनाने का खेल है, भाजपा वोट बैंक की राजनीति करती आ रही है और अभी भी यही कर रही है। देश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं, बीजेपी देश के बच्चों का अधिकार छीन रही है।
सीएम केजरीवाल- बीजेपी हमारे बच्चों को नौकरी नहीं दे सकती है
सीएम केजरीवाल ने कहा कि अगर एक बार यह सिलसिला शुरू होता है, तो बड़ी संख्या में बांग्लादेश और पाकिस्तान से लोग भारत में आकर रहने लगेंगे। इसका साफ मतलब है कि बड़ी संख्या में लोग अल्पसंख्यकों को हमारे देश में लाया जाएगा। उन्हें नौकरियां दी जाएंगी और उनके लिए घर बनाए जाएंगे। बीजेपी हमारे बच्चों को नौकरी नहीं दे सकती है, लेकिन पाकिस्तान से आए बच्चों को नौकरी देना चाहती हैं। हमारे कई लोग बेघर हैं, लेकिन भाजपा पाकिस्तान से आए लोगों को यहां बसाना चाहती है। वे हमारी नौकरियां उनके बच्चों को देना चाहती हैं। पाकिस्तानियों को हमारे ही घरों में बसाना चाहते हैं। भारत सरकार का जो पैसा है, उसका उपयोग हमारे परिवारों और देश के विकास के लिए किया जाना चाहिए। इसका उपयोग पाकिस्तानियों को बसाने के लिए किया जाएगा।
भारत ने शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोलें
आज बीजेपी कह जरूर रही है कि 2014 से पहले आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। लेकिन, देख लेना कि अगली तारीख में बीजेपी वाले इस तारीख को बढ़ाकर 2024 कर देंगे। उसके बाद इसको और आगे बढ़ा दिया जाएगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों के लिए भारत ने दरवाजे खोल दिए हैं। यह देश के लिए काफी खतरनाक है। इस कानून के लागू होने से सबसे ज्यादा नुकसान आज उत्तर पूर्वी राज्य खासतौर पर असम के लोग भुगत रहे हैं। असम में रहने वाले लोग सीएए के लागू होने के बाद काफी नाराज हैं। देश में मांग हो रही है कि सीएए को वापस ले लिया जाए।
सीएए कानून को संसद से चार साल पहले ही मिली थी मंजूरी
भाजपा की तरफ से 11 मार्च, 2024 को सीएए कानून को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी। इस कानून के जारी होने के बाद ही यह कानून पूरे देश में लागू हो गया। बता दें कि संसद के दोनों सदनों में यह कानून चार पहले पारित हुआ था। उस समय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कानून को अपनी मंजूरी दे दी थी।