Delhi Air Politics: दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्य वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर पर पहुंच गए हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि पराली जलाने के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्थिति में है, जिससे बुजुर्ग और बच्चे खास तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।  

पंजाब में पराली जलाने के मामले कम, अन्य राज्यों पर सवाल

आतिशी ने कहा कि जहां पंजाब में पराली जलाने के मामले कम हुए हैं, वहीं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अगर पंजाब पराली जलाने के मामलों में कमी ला सकता है, तो अन्य राज्य क्यों नहीं? यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।  

'राजनीति छोड़ कार्रवाई करें केंद्र'

मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को राजनीति छोड़कर प्रदूषण कम करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। क्या एमपी, यूपी और राजस्थान में पराली जलाने का जिम्मेदार आम आदमी पार्टी है?

उत्तर भारत में बढ़ा वायु प्रदूषण का संकट

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण पर सुप्रीम कोर्ट के कमेंट पर आतिशी ने कहा कि इसका फैसला वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQAM) लेता है। दिल्ली सरकार तो केवल उन पाबंदियों को लागू करती है। उन्होंने कहा कि हम नियमों के तहत काम कर रहे हैं और केंद्र से इस मुद्दे पर कार्रवाई की उम्मीद है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर पराली जलाने पर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो उत्तर भारत में स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने केंद्र से प्रदूषण रोकने के लिए तत्काल उपाय करने की मांग की।  

विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार को ठहराया जिम्मेदार

वायु प्रदूषण को लेकर दूसरी तरफ दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने राजधानी में बिगड़ते प्रदूषण पर केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के कारण स्थिति भयावह और चिंताजनक है। यह दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है, और इसकी जिम्मेदारी केजरीवाल सरकार की है। गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार को यह बताना होगा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए उन्होंने क्या ठोस कदम उठाए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर केवल प्रचार किया, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ। अब उन्हें 10 साल का हिसाब देना होगा।

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