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अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार बनने मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 की सम्मान राशि दिए जाने का ऐलान किया। हालांकि, उनके इस ऐलान पर विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाए हैं।

Kejriwal Pujari Granthi Samman Yojana: दिल्ली के पूर्व और आप सुप्रीमो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया है कि अगर उनकी सरकार दोबारा बनती है, तो मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रुपये सम्मान राशि दी जाएगी। इस घोषणा पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए इसे चुनावी राजनीति करार दिया है।  

संदीप दीक्षित: 'ऐलान में देरी क्यों?'

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने केजरीवाल की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे योजना बना सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि इसे पहले क्यों लागू नहीं किया गया? जब कोई सरकार दोबारा चुनाव के करीब होती है, तो नए सड़क, अस्पताल, स्कूल जैसी योजनाओं की घोषणा होती है। केवल भत्ते बढ़ाना सामान्य काम है। यह ऐलान सिर्फ चुनाव से पांच दिन पहले क्यों किया गया? दो-तीन महीने पहले क्यों नहीं? यह दर्शाता है कि वे अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता खो चुके हैं। 

हर्ष मल्होत्रा: 'एक समुदाय तक ही सीमित ध्यान'  

केंद्रीय मंत्री हरश मल्होत्रा ने कहा कि अब उन्हें वे लोग याद आ रहे हैं, जिन्हें उन्होंने पिछले दस सालों में नजरअंदाज किया। पिछले दस साल से ये धार्मिक स्थलों पर काम करने वाले एक समुदाय के लोगों, यानी इमामों को वेतन दे रहे थे। उस वक्त उन्हें मंदिरों के पुजारी या गुरुद्वारों के ग्रंथियों का ख्याल क्यों नहीं आया? यह दिखाता है कि उनकी प्राथमिकता केवल एक विशेष समुदाय तक सीमित थी।  

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दिल्ली बीजेपी प्रमुख का हमला

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी इस घोषणा को चुनावी स्टंट बताते हुए कहा कि 2013 से वे मस्जिदों के इमामों और मौलवियों को वेतन दे रहे हैं। तब उन्हें मंदिर के पुजारियों और घंटी बजाने वालों की याद क्यों नहीं आई? बीजेपी ने हमेशा पुजारियों और उनके मुद्दों के लिए संघर्ष किया है। हमने कई बार अरविंद केजरीवाल के घर का घेराव भी किया है। यह ऐलान केवल वोट पाने की रणनीति है। जहां, अरविंद केजरीवाल की घोषणा को लेकर जहां आम जनता में मिली जुली प्रतिक्रिया है, वहीं विपक्ष इसे चुनाव से पहले किया गया एक राजनीतिक कदम बता रहा है। आगामी दिनों में देखना होगा कि यह योजना सरकार की वापसी में कितनी मददगार साबित होती है।

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