नई दिल्ली:  रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव 2023 का उद्घाटन में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने दावा किया है कि कृषि क्षेत्र में तेज वृद्धि दर चाहिए तो यहां कारपोरेट सेक्टर को निवेश बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि, कृषि क्षेत्र की तेज वृद्धि दर के बगैर विकसित भारत के लक्ष्य को पाना मुश्किल है।  24-25 वर्षों  तक 7 से 8 प्रतिशत की विकास दर होना जरूरी है। बता दें, विश्व बैंक के मुताबिक, विकसित देश होने के लिए प्रति व्यक्ति आय 12000 डॉलर यानी 10 लाख रुपये होना जरूरी है। अभी भारत में प्रति व्यक्ति आय 1,70,000 रुपये के आसपास है। इसे अगले 24 वर्षों में 6 से 7 गुना बढ़ाना होगा। अगर कृषि क्षेत्र 3.5 से 4% की दर से नहीं बढ़ता है तो 2047 तक विकसित भारत बनना संभव नही है। 

कंज्यूमर को चुनती है सरकार 
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डॉ. आर. एस सोढ़ी ने कहा कि जब भी किसान और शहरी उपभोक्ता के बीच किसी एक को चुनना होता है तो नीति निर्माता अक्सर कंज्यूमर को चुनते हैं। इससे शेयर बाजार का सेंसेक्स बढ़ता है तो खुशी महसूस करते हैं।  लेकिन जब सब्जियों के या खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ते हैं तो उसे खाद्य महंगाई बता दिया जाता है। इसकी जगह फूड प्रॉस्पेरिटी इंडेक्स आए। इसके लिए माइंडसेट में बदलाव लाने की जरूरत है।  संगठित क्षेत्र में रोजाना 12 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है। अगले 7 वर्षों में यह 24 करोड़ लीटर हो जाएगा।  इस तरह देखें तो 12 करोड़ लीटर दूध उत्पादन बढ़ेगा तो साथ-साथ में 72 लाख नौकरियां निकलेंगी।

करने होंगे ये कार्य
एमसीएक्स के चेयरमैन तथा नाबार्ड के पूर्व चेयरमैन हर्ष कुमार भनवाला के मुताबिक कृषि को सिर्फ कृषि के तौर पर नहीं देख सकते। कृषि को विकसित करने के लिए कई तरह कार्य करने पड़ेंगे। 2047 तक कृषि को बिजली, मार्केट, अच्छी सड़कें, डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरनेट की जरूरत है। आज युवा इंटरनेट पर हर चीज का आर्डर करता हैं। इंटरनेट के माध्यम से फूड कंजप्शन बढ़ रहा है।  गांव तक अच्छी कनेक्टिविटी हो तो साल 2047 तक विकसित भारत हो सकता है।