एक मामले में व्यक्ति ने अपनी पत्नी के परिवार के खिलाफ बिना मांगे दहेज देने के आरोप में आपराधिक कार्रवाई की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। एडिशनल सेशन जज नवजीत बुद्धिराजा ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए पाया कि व्यक्ति के खिलाफ पहले से ही उसकी पत्नी के परिवार ने क्रूरता का मामला दर्ज किया है।
बिना मांगे दी गई धनराशि, अदालत ने मांगे सबूत
याचिकाकर्ता का दावा था कि उसने कभी भी दहेज की मांग नहीं की, फिर भी ससुरालियों ने बिना उसकी मर्जी के उसके खाते में 25,000 रुपये और 46,500 रुपये भेजे। कोर्ट ने इसे दहेज निषेध अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में माना, लेकिन यह भी कहा कि जब तक दोनों पक्षों के सबूत पेश नहीं होते, इस दावे की पुष्टि नहीं की जा सकती है।
पति के खिलाफ पहले से दर्ज है मामला
अदालत ने बताया कि याचिकाकर्ता पर पहले ही उसकी पत्नी और ससुरालियों ने आईपीसी की धारा 498ए में पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा विवाहित महिला पर क्रूरता करने के तहत मामला दर्ज है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ससुराल पक्ष ने दहेज देने की बात को स्वीकार किया है, लेकिन इस बात से फैसले तक नहीं पहुंचा जा सकता है।
मामले में तथ्यों को छुपाने का है आरोप
अदालत ने याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया कि उसने अपने ऊपर लगे आरोपों की जानकारी छुपाई। कोर्ट में ससुराल पक्ष ने आरोप लगाया था कि दामाद लगातार दहेज की मांग करता था। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर ही अंतिम निर्णय लिया जा सकता है, केवल बयानों के आधार पर नहीं।
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