Bangla Sahib New Year 2024: नया साल मनाने के लिए बंगला साहिब गुरुद्वारे में इतनी भीड़ है कि लोगों को पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही है। साथ ही लोग यहां के सरोवर में डुबकी लगा रहे हैं, जिसमें से 65 प्रतिशत श्रद्धालु सिख नहीं हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के मेंबर और बंगला साहिब गुरुद्वारे के चेयरमैन भूपिंदर सिंह भुल्लर ने कहा कि नए साल पर वैसे तो दिल्ली के सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारों (रकाबगंज साहिब, गुरुद्वारा सीसगंज साहिब, गुरुद्वारा दमदमा साहिब, नानक प्याऊ) में मत्था टेकने के लिए लोग पहुंचते हैं, लेकिन बंगला साहिब में सबसे ज्यादा संगत आती है।

दिल्ली-एनसीआर से भी आए लोग

कमेटी के अनुसार, पिछली बार सभी गुरुद्वारों की बात करें, तो लाखों लोग गुरुद्वारों में पहुंचे और लंगर खाया था। इसमें न सिर्फ दिल्ली से बल्कि नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद और पंजाब से भी लोग मत्था टेकने गुरुद्वारों आते हैं। विदेश से आए टूरिस्ट भी बड़ी संख्या में नए साल के मौके पर गुरुद्वारे पहुंचते हैं और लंगर में शामिल होते हैं।

बंगला साहिब में विशेष इंतजाम

भूपिंदर सिंह भुल्लर ने बताया कि नए साल पर गुरुद्वारे में मत्था टेकने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। वहीं, इस बार कमेटी मुलाजिमों की मुस्तैदी और पहले से ज्यादा फोर्स लगाई गई है, जिससे लोग आराम से गुरु महाराज के दर्शन कर सकें। भुल्लर ने यह भी कहा कि 150 के करीब कमेटी मुलाजिमों के अलावा वॉलंटियर्स भी सरोवर के किनारे तैनात रहेंगे। भुल्लर ने गुरुद्वारे आने वाले लोगों से अपील की है कि वह सरोवर किनारे किसी भी तरह की कोई रील, सेल्फी या अन्य ऐसा काम न करें, जिससे गुरुद्वारे की मर्यादा को ठेस पहुंचे।

पांच गुना से ज्यादा बनाया गया लंगर

कमेटी के अनुसार 1 जनवरी 2023 को गुरुद्वारे में लंगर लगभग पांच गुना से भी अधिक बनाया गया है। लंगर के लिए 40 क्विंटल से ज्यादा आटा लगता है। 13-14 क्विंटल दाल बनती है, 1200 किलो दूध की खीर बनाई जाती है और 500 किलो से ज्यादा चावल बनते हैं। वहीं, दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए कमेटी की ओर से लोगों से अपील की गई कि वे आतिशबाजी न करें।