Delhi AIIMS News: ब्रेन स्ट्रोक के मरीज फिर से पा सकेंगे आवाज, दिल्ली AIIMS ने शुरू की म्यूजिक थेरेपी

Delhi AIIMS News: इस योजना का मकसद ब्रेन स्ट्रोक के बाद खोई हुई आवाज को वापस लाने के लिए बनाया गया है। आज भी स्ट्रोक मौत की सबसे बड़ी वजह बन गया है।;

Update: 2024-02-09 05:45 GMT
Delhi AIIMS News
दिल्ली एम्स ने शुरू की म्यूजिक थेरेपी।
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Delhi AIIMS News: दिल्ली एम्स ने एक योजना शुरू की है। दरअसल, ब्रेन स्ट्रोक की वजह से खोई आवाज को अब देसी म्यूजिक थेरेपी के जरिए वापस ला सकते हैं। एम्स ने इसके लिए देसी म्यूजिक थेरेपी के इस्तेमाल की योजना बनाई है। एम्स अस्पताल ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर इस खास मॉड्यूल यानी फॉर्मूला तैयार कर लिया है। इस मॉड्यूल में देसी यानी इंडियन म्यूजिक है। मरीज अपने पसंदीदा गाने को थेरेपी के रूप में सुनेंगे और बोलने की क्षमता की रिकवरी भी होगी। इस मॉड्यूल की क्षमता की प्राइमरी स्टडी शुरू करने का ऐलान किया है ताकि इसके आधार पर आगे की योजना बनाई जा सके। 

ब्रेन स्ट्रोक में खोई आवाज आएगी वापस 

एम्स में न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर का कहना है कि इस योजना का मकसद ब्रेन स्ट्रोक के बाद खोई हुई आवाज को वापस लाने के लिए बनाया गया है। आज भी स्ट्रोक मौत की सबसे बड़ी वजह बन गया है। इसकी वजह से अफेजिया (Aphasia) हो जाता है, जिसका मतलब है कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण मरीज का लैंग्वेज फंक्शन खराब हो जाता है। बोलने की क्षमता की रिकवरी के लिए बनाई गई है। आगे उन्होंने कहा कि एक्यूट ब्रेन स्ट्रोक के 21 से 38 प्रतिशत मरीजों में यह परेशानी होती है। म्यूजिक थेरेपी से बोलने की क्षमता में रिकवरी होती है। 

वेस्टर्न कंट्रीज में म्यूजिक थेरेपी का अपना मॉड्यूल

एम्स डॉक्टर के मुताबिक, वेस्टर्न कंट्रीज में म्यूजिक थेरेपी का अपना मॉड्यूल है, लेकिन यह वेस्टर्न म्यूजिक पर बेस्ड है। उनके यहां इस थेरपी से बहुत अच्छी रिकवरी देखी गई है। उन्होंने आगे कहा कि लिटरेचर में जो है, वह हम भारतीय के लिए नहीं है। आज भी कई जगहों पर म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल होता है, लेकिन यह सब अनस्ट्रक्चर्ड है। कोई साइंटिफिक फॉर्म्युला नहीं है। इसकी कमी को दूर करने के लिए हमने इंडियन म्यूजिक को प्रोपर स्ट्रक्चर देते हुए फॉर्मूला बना लिया है।

एम्स में करीब 10 मरीजों पर की जाएगी स्टडी 

आगे उन्होंने कहा कि अभी इस फॉर्म्युला पर प्राइमरी स्टडी करनी है। इसमें करीब 10 मरीजों पर स्टडी की जाएगी। इस दौरान ऐसे मरीजों को शामिल किया जाएगा, जिन्हें पिछले एक साल से ब्रेन स्ट्रोक की वजह से स्पीच की समस्या हो रही है। इसकी सफलता के बाद ही आगे की स्टडी करने की प्लानिंग की जाएगी, जिसमें मरीजों की संख्या ज्यादा होगी। अगर किसी मरीज की आवाज अचानक चली जाती है, तो उनकी जिंदगी खराब हो जाती है। ऐसे में जब मरीज की थोड़ी सी आवाज वापस आती है, तो उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ बढ़ जाती है, जिससे उन्हें खुशी मिलती है। 

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