Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सिर्फ राजधानी में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अलग ही माहौल देखने को मिल रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और यहां जिसकी भी सरकार बनती है, उस पर पूरे देश की नजर रहती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। दिल्ली में अभी तक कुल 7 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस ने सबसे अधिक 4 बार बाजी मारी, आप ने 2 बार सरकार बनाई है, जिसमें से एक बार कांग्रेस गठबंधन में थी। दूसरी ओर बीजेपी सिर्फ 1993 में एक ही बार सरकार बना पाई है, ऐसे में बीजेपी भरपूर प्रयास कर रही है कि 32 साल बाद सरकार में वापसी कर सके।
1993 में आखिरी बार जीती थी बीजेपी
1993 में चुनाव जीतने के बाद 1998 में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था, इसके बाद से कभी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है। 1998 से 2013 तक दिल्ली की सत्ता पर कांग्रेस का राज था, लेकिन फिर आम आदमी पार्टी बनी और दिल्ली में सरकार बना ली। यह चुनाव कई मायनों में काफी खास होने वाला है। इस चुनाव के जरिए कांग्रेस, बीजेपी और आप तीनों खुद को आजमाने वाली है कि जनता उसके मुद्दों पर कितना भरोसा कर रही है। दिल्ली चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप पर कई आरोप लग रहे हैं। शीश महल में भ्रष्टाचार के आरोप से लेकर, सोनी की परत चढ़ी टॉयलेट सीट तक और शराब घोटाले केस से लेकर रेवड़ी बांटने के आरोप तक, आप को कई तरीकों से विपक्ष द्वारा घेरने का प्रयास किया जा रहा है।
टक्कर का रहने वाला है 2025 का चुनाव
वर्तमान में दिल्ली में बढ़ रहा प्रदूषण भी आप के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। इसके अलावा बारिश के दिनों में राजधानी के ड्रेनेज सिस्टम पर भी कई सवाल खड़े हुए थे, इसको लेकर आगामी चुनाव आप की भी मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। 2015 और 2020 में आप ने भले ही चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की थी, लेकिन 2025 का चुनाव टक्कर का होने वाला है। इसका एक कारण यह भी है कि कांग्रेस अब पहले से अधिक मजबूत हो चुकी है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद से ही कांग्रेस का प्रदर्शन काफी सुधर चुका है, जिसका असर दिल्ली चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।
आप ने किया था गठबंधन नहीं करने का ऐलान
दिल्ली चुनाव में जारी राजनीति के बीच आप जनता को एक के बाद एक रेवड़ी बांटने का दावा कर रही है, जबकि भाजपा और कांग्रेस भी अपने-अपने मुद्दों के साथ मैदान पर उतर चुकी है। इन सभी के बीच ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में एक बंदर और 2 बिल्लियों की कहानी रिपीट होने वाली है। यह कहानी कुछ इस तरह है कि 2 बिल्लियां आपस में रोटी खाने के लिए लड़ती रहती हैं और एक बंदर बीच में फायदा उठाकर रोटी खा लेता है। यह कहानी इसलिए सच हो सकती है, क्योंकि कांग्रेस और आप ने फैसला किया है कि वह दिल्ली चुनाव में गठबंधन नहीं करने वाले हैं।
चुनाव से पहले कांग्रेस ने किया ऐलान
हरियाणा में जब आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो सका था, उसी समय आम आदमी पार्टी ने ऐलान कर दिया था कि वह दिल्ली में भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी और अकेले चुनाव लड़ेगी। इसके बाद आप ने दिल्ली में 10 प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी। अब बीते दिन कांग्रेस ने भी ऐलान कर दिया कि वह अकेले चुनाव लड़ने वाली है, वह आप से गठबंधन नहीं करेगी। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने वाली है। इससे साफ है कि दिल्ली में टक्कर सिर्फ 2 पक्षों में नहीं, बल्कि 3 पक्षों में होने वाला है, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
हरियाणा में भी हुआ था यही खेल
कांग्रेस और आप के गठबंधन नहीं करने का सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है, इसका अंजाम हरियाणा चुनाव में देखने को मिल चुका है। हरियाणा चुनाव में प्रदेश के तमाम मुद्दे कांग्रेस के पक्ष में थे, हर किसी के जुबां पर यही था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार वापसी करने वाली है, लेकिन आप ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होने के कारण बीजेपी विरोधी वोट दोनों पार्टियों में बंट गए और बीजेपी ने आसानी से सरकार बना ली और कांग्रेस हाथ मलते रह गई। अगर हरियाणा में आप और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ी होती, तो अंजाम कुछ और हो सकता था।
32 साल बाद बीजेपी कर सकती है वापसी
अब दिल्ली चुनाव से पहले भी यही असमंजस बिठाए जा रहे हैं कि अगर आप और कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती है, तो यहां भी बीजेपी विरोधी वोट बंट जाएंगे और आप के खिलाफ कई मुद्दे होने के कारण इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगी और 32 साल बाद भाजपा दिल्ली में वापसी करने में कामयाब रहेगी। यही कारण है कि दिल्ली चुनाव से पहले बंदर और 2 बिल्लियों की कहानी याद आ रही है। बताते चलें कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल के फरवरी महीने में होने वाला है, लेकिन चुनावी माहौल अभी से गरमा चुका है। हर दिन दिल्ली की तीनों पार्टियां एक दूसरे पर निशाना साधने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है।
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