Dhruv Rathi Defamatory Video: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को मानहानि से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपनी गलती मान ली। उन्होंने शीर्षतम अदालत से कहा कि भाजपा आईटी सेल से संबंधित यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा प्रसारित एक कथित अपमानजनक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की है। केजरीवाल ने जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ से दर्ज मानहानि केस निरस्त करने की मांग की। इस मामले की सुनवाई अब 11 मार्च को होगी। तब तक निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगी रहेगी।
केजरीवाल की तरफ से पेश हुए सिंघवी
दरअसल, सीएम अरविंद केजरीवाल ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ध्रुव राठी के वीडियो को रीट्वीट करने के लिए आपराधिक मानहानि मामले में आरोपी के रूप में उन्हें जारी किए गए समन को बराकरार रखा था। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि मैं इतना कह सकता हूं कि अरविंद केजरीवाल ने रीट्वीट करके गलती की है।
हाईकोर्ट ने 5 फरवरी को दिया था आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 फरवरी कारे कहा था कि अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करने पर मानहानि कानून लागू होगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि जिस सामग्री के बारे में किसी को जानकारी नहीं है, उसे रीट्वीट करते समय जिम्मेदारी की भावना जुड़ी होनी चाहिए। और यह भी कहा था कि मानहानिकारक सामग्री को रीट्वीट करने वाला शख्स यदि डिस्क्लेमर संलग्न नहीं करता है तो दंडात्मक, नागरिक के साथ-साथ अपकृत्य कार्रवाई भी होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय में कहा था कि निचली अदालत इस बात को समझने में विफल रही कि उनके ट्वीट का उद्देश्य शिकायतकर्ता विकास सांकृत्यायन को नुकसान पहुंचाना नहीं था।
2018 में दर्ज हुआ था मानहानि का केस
मानहानि का मामला 2018 में दर्ज हुआ था। यूट्यूबर ध्रुव राठी के वीडियो में विकास सांकृत्यायन नाम के शख्स के बारे में आपत्तिजनक बातें कही गई थीं। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए मुदकमा रद्द करने से मना कर दिया था कि ट्वीटर पर केजरीवाल को बड़ी संख्या में लोग फॉलो करते हैं। उन्होंने शिकायकर्ता के खिलाफ कही गई अपमानजनक बातों को बिना पुष्टि किए रीट्वीट किया और करोड़ों लोगों तक इसे फैलाया।