Dwarka ISKCON: 25 अगस्त को होगा भव्य जन्माष्टमी महामहोत्सव, भगवान को लगेगा 1 लाख व्यंजनों का भोग

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द्वारका का इस्कॉन मंदिर।
Dwarka ISKCON: द्वारका के इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयारियों हो रही है। 25 अगस्त को महामहोत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें करीब 5 लाख लोगों के लिए प्रसाद की व्यवस्था की जाएगी।

Dwarka ISKCON: दिल्ली के द्वारका स्थित इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन महा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसको लेकर कई दिनों से तैयारी चल रही है। भक्त भी इस महामहोत्सव को लेकर काफी उत्साहित हैं। जन्माष्टमी का त्योहार विश्व भर में 26 अगस्त सोमवार को मनाया जा रहा है। इसलिए कई दिन पूर्व ही दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक इस्कॉन द्वारका में अनोखे और भव्य उत्सव की तैयारियां जोर-शोर से आरंभ हो गई है।

पूरे दिन मंदिर में कीर्तन का आयोजन

जन्माष्टमी का यह कार्यक्रम 26 अगस्त को सुबह 4:30 बजे से रुक्मिणी द्वारकाधीश के दर्शन के साथ आरंभ होगा। प्रातः 8 बजे आप परम पूज्य भक्ति आश्रय वैष्णव स्वामी महाराज के दर्शन एवं कृष्ण कथा का लाभ ले सकेंगे। पूरे दिन मंदिर में कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। अपने जीवंत और हर्षोल्लास पूर्ण कीर्तन के लिए प्रसिद्ध विश्व प्रसिद्ध कीर्तन कलाकार सचिनंदन गौर प्रभु अपनी टीम के साथ विशेष कीर्तन प्रस्तुत करेंगे, जो भक्तों को भगवान के जन्म के समय आधी रात तक भी नृत्य और गायन के लिए प्रेरित करेगा।

संध्या आरती से पूर्व लगाए जाएंगे एक लाख भोग

इस महामहोत्सव में चार चांद लगाने के लिए जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर यानी 25 अगस्त अगस्त की शाम को 500 से अधिक स्कूली बच्चे कृष्ण के जीवन और लीलाओं को दर्शाने वाले नाटक प्रस्तुत करेंगे, वहीं सुपर स्टार सिंगर सीजन-3 यानी छोटे परदे के चमकते सितारे खुशी व पिहू शर्मा एवं खुशी नागर अपने भावपूर्ण भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगी। इस बीच, कृष्ण की रसोई में भक्तगण भगवान को अर्पित करने के लिए हजारों व्यंजन जैसे अनेक किस्म के लड्डू व 15 प्रकार के पेड़े आदि भोग के लिए तैयार कर रहे हैं, जिसे जन्माष्टमी की शाम को संध्या आरती से पूर्व एक लाख भोग लगाए जाएंगे।

सजावट के लिए दुनियाभर से मंगाए फूल

बताया जा रहा है कि सारे भोग मिट्टी से बने विशेष सकोरों में रखे जाएंगे जो देखने में बहुत आकर्षक लगेंगे। 25 अगस्त की शाम को ही अदिवास कार्यक्रम होगा, जिसमें भगवान को जन्माष्टमी के दिन पहनाए जाने वाले वस्त्र व आभूषण उनके समक्ष दिखाए जाएंगे। मंदिर की सजावट के लिए दुनिया भर से सैकड़ों प्रकार के फूल मंगवाए गए हैं, जो मंदिर और भगवान को सजाने के लिए उपयोग किए जाएंगे।

भगवान के महाभिषेक के लिए भक्तगण भी भाग

इस जन्माष्टमी पर इस्कॉन द्वारका में भगवान के महाभिषेक के लिए भक्तगण भी भाग लेंगे। विशेष वीवीआई व्यवस्था के तहत मंदिर निर्माण में सहयोग करने वाले भक्तों को महा आरती और महाभिषेक जैसे दो सबसे प्रिय अनुष्ठानों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। अभिषेक के लिए दिव्य जल व दीपक मंदिर से ही उन्हें प्राप्त होंगे। इस्कॉन द्वारका के उपाध्यक्ष गौर प्रभु ने कहा कि जन्माष्टमी के उत्सव को धूमधाम से मनाने के साथ-साथ लोगों के लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर भगवान कृष्ण के क्या उपदेश हैं, उनकी शिक्षाएं क्या हैं।

उत्साहपूर्वक पुस्तकों का कर रहे हैं वितरण

उन्होंने बताया कि भगवद्गीता में स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से हमें ये शिक्षाएं प्रदान की हैं, जो लाइफ मैनुअल के रूप में हम सबको अपनानी चाहिए। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि एक खुशहाल और संतोषजनक जीवन के लिए कृष्ण की शिक्षाओं को पढ़ना और समझना महत्वपूर्ण है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमारे साथ वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर, व्यवसायी व अनेक युवा छात्र आगे आए हैं। कृष्ण के संदेशवाहक बनकर वे स्वयंसेवक के रूप में दिल्ली एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में कृष्ण के संदेश को प्रसारित कर रहे हैं। उत्साहपूर्वक पुस्तकों का वितरण कर रहे हैं।

5 लाख से अधिक लोगों के लिए बनेगा प्रसाद

गौर प्रभु ने आगे कहा कि भगवद्गीता और इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद की लिखी ये पुस्तकें कृष्ण की कृपा का एक रूप हैं। इनके अंदर जीवन बदलने की शक्ति है। जैसा कि उन्होंने हमारा जीवन बदला है। इस अवसर पर लगभग 5 लाख से अधिक लोगों के लिए प्रसाद वितरित करने की योजना है। जन्माष्टमी पर कृष्ण का आशीर्वाद प्रसाद के रूप में भी प्राप्त होता है, जो शरीर और आत्मा दोनों का पोषण करता है। नंदोत्सव, कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन 27 अगस्त को मनाया जाएगा, यह गोकुल में भगवान कृष्ण के जन्म का एक खुशी का अवसर है।

यह त्योहार विशेष रूप से जीवंत है, जहां भक्त शिशु कृष्ण के बचपन के दृश्यों को दोहराते हैं। उत्सव में विशेष कथा, चंचल अनुष्ठान, भक्ति गीत गाना और मीठे प्रसाद का वितरण शामिल है। इस्कॉन के संस्थापक आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए भक्तगण उनका अवतरण दिवस मनाते हैं।

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