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Congress Took Revenge From AAP: दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का बुरा हाल हो गया है। आप को 70 सीटों में से सिर्फ 22 सीटें हाथ लगी है, जबकि बाकी 48 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है। पिछली चुनाव की बात करें, तो आप को 70 में से 62 सीटें मिली थी, लेकिन एक ही कार्यकाल में आप आसमान से फर्स पर गिर गई है। आप की हार के साथ कांग्रेस का मिशन बदलापुर भी पूरा हो गया है। 

दिल्ली में कैसे हुआ हरियाणा वाला खेल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली चुनाव से पहले हरियाणा में चुनाव हुआ था। चुनाव से पहले सिर्फ प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लहर थी कि हरियाणा में कांग्रेस की जीत पक्की है। कई ऐसे मुद्दे थे जो बीजेपी के खिलाफ थे, जिसके कारण कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन आप ने कांग्रेस का खेल खराब कर दिया था। आप भले ही खुद एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन कांग्रेस का बंटाधार कर दिया। हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली थी। इसके अलावा 2 सीटों पर इनेलो का कब्जा रहा था और 3 सीटें निर्दलीय कैंडिडेट ने जीते थे।

हरियाणा चुनाव में बीजेपी को 39.94 फीसदी वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 फीसदी वोट मिले। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोट प्रतिशत का अंतर सिर्फ 0.85 फीसदी थी। जबकि आप को यहां 1.79 फीसदी वोट मिले थे। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर आप ने हरियाणा में कांग्रेस का साथ दिया होता, तो शायद यहां कांग्रेस की सरकार बन जाती, लेकिन आप के अकेले चुनाव लड़ने से कांग्रेस सरकार में नहीं आ पाई। अब इसी का बदला कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से दिल्ली में ले लिया है।

हार कर भी आप के साथ खेल गई कांग्रेस

दिल्ली में आप की जीत की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़कर आप का खेल खराब कर दिया। अब आंकड़ों को देखें तो साफ है कि अगर आप और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ती तो गठबंधन की सरकार बन सकती थी। दिल्ली में बीजेपी को 45.56 और आम आदमी पार्टी को 43.57 फीसदी वोट मिले। इसके अलावा कांग्रेस को 6.34 फीसदी वोट मिले। अगर कांग्रेस ने आप का साथ दिया होता, तो आप का वोट प्रतिशत बीजेपी से कहीं अधिक होता और यह गठबंधन सरकार भी बना सकती थी।

आप सरकार बनाने से 14 सीटें दूर रह गई है और दिल्ली में कुल 14 ऐसी सीटें हैं, बीजेपी से आप कैंडिडेट की हार का वोटों का अंतर इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी को मिले वोट से कम है। ऐसे में अगर कांग्रेस ने आप का साथ दिया होता, तो शायद दिल्ली चुनाव का अंजाम कुछ और हो सकता था। इस तरह कांग्रेस ने मिशन बदलापुर पूरा कर लिया है।

संदीप दीक्षित कैसे हुए सफल

नई दिल्ली विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित को एकतरफा हार मिली है। इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी प्रवेश वर्मा ने चुनाव जीता है। गौर करने वाली बात है कि नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को 4089 वोटों से हार मिली है। संदीप दीक्षित को यहां से 4568 वोट मिले, जो कि केजरीवाल के हार के अंतर से अधिक है। इससे साफ है कि संदीप दीक्षित ने चुनाव हारकर भी अपनी मां का बदला केजरीवाल से ले लिया है।

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता में एंट्री करने के लिए शीला दीक्षित पर जोरदार हमला बोला था। कांग्रेस को दिल्ली से खत्म करने में केजरीवाल का ही हाथ रहा था, लेकिन अब शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित के कारण केजरीवाल को नई दिल्ली सीट गंवानी पड़ी है। इस तरह संदीप दीक्षित का भी केजरीवाल से बदला पूरा हो गया है।

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