Delhi News: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आज यानी मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बड़ा दावा किया है। भारद्वाज ने कहा कि उनके ही स्वास्थ्य विभाग ने उनकी जानकारी के बिना दिल्ली हाईकोर्ट में एक झूठा हलफनामा पेश किया है। वह इस मुद्दे पर विधि विभाग को पत्र लिखेंगे। सौरभ ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट अस्पतालों में गहन चिकित्सा इकाई बिस्तरों को लेकर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देने के लिए डॉ.सरीन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है।
दवाओं की भारी कमी पर मुख्य सचिव को लिखा हूं पत्र- भारद्वाज
भारद्वाज ने आरोप लगाया कि अदालत ने 24 मई को सरीन समिति की सिफारिशों पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में सवाल किया था। मुझे आश्चर्य हुआ कि स्वास्थ्य विभाग ने मेरी जानकारी के बिना ही एक हलफनामा पेश कर दिया। उन्होंने दावा किया कि हलफनामा सेवा विभाग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था। मैं अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक में दवाओं की भारी कमी के बारे में मुख्य सचिव को महीनों से पत्र लिख रहा हूं और आंकड़े भेज रहा हूं। इसके बावजूद उन्होंने स्वास्थ्य सचिव द्वारा अनुमोदित एक हलफनामा हाईकोर्ट में दिया कि सभी दवाएं उपलब्ध हैं।
'हलफनामा मुझसे अप्रूव नहीं करवाया गया है'
भारद्वाज ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में लिखा है कि अस्पतालों में मरीजों के लिए सभी दवाएं उपलब्ध हों, कम से कम 2 महीने की दवाइयों का स्टॉक अस्पताल में उपलब्ध हो। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सर्विसेज विभाग की स्टैंडिंग काउंसिल द्वारा हाईकोर्ट में जमा किए गए हलफनामे में साफ तौर पर यह बात लिखी है कि सीपीए का टेंडर हो चुका है और 15 जून तक यह सभी टेंडर पूरे कर लिए जाएंगे और जब तक यह टेंडर पूरे नहीं हो जाते, तब तक के लिए ईडीएल की सभी दवाइयां सभी अस्पतालों में और मोहल्ला क्लीनिकों में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि यह हलफनामा मुझसे अप्रूव नहीं करवाया गया है, बल्कि इसे स्वास्थ्य सचिव से अप्रूव करवाया गया है, क्योंकि इस हलफनामे में सारी बातें झूठ लिखी हैं।
'मुझे फंसाने का षड्यंत्र रच रहे हैं स्वास्थ्य सचिव'
भारद्वाज ने कहा कि मैं पिछले लंबे समय से लगातार बार-बार मुख्य सचिव को और स्वास्थ्य सचिव को चिट्ठियां लिखकर यह बात बता रहा हूं कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में और मोहल्ला क्लीनिकों में दवाइयों की भारी कमी है। मैंने इस संबंध 12 फरवरी, 20 मई, 5 जून, 4 जुलाई, 16 जुलाई तथा 2 अगस्त को चिट्ठियां लिखकर दिल्ली सरकार के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में दवाइयां की भारी कमी होने की जानकारी दी है। उपराज्यपाल के सर्विसेज विभाग की वकील और स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सचिव मिलकर मुझे फंसाने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस हलफनामे में उन्होंने दो अलग-अलग मामलों से संबंधित फाइलों का जिक्र करते हुए कहा है, कि यह दोनों फाइलें स्वास्थ्य मंत्री के पास लंबित हैं, जबकि मैं बता देना चाहता हूं कि इनमें से एक भी फाइल आज तक मेरे पास भेजी ही नहीं गई है। बावजूद इसके इस हलफनामे में झूठ लिखकर कोर्ट के समक्ष मुझे बदनाम करने और फंसाने की साजिश की गई है।
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