Delhi High Court on Government Property: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। इस याचिका में उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपना सरकारी बंगला आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया के परिवार को सबलेट कर दिया। याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि अगर कोई नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो संबंधित अधिकारी इस पर जरूरी कार्रवाई करने के लिए सक्षम हैं।

याचिका का विवरण और आरोप

यह याचिका 17 दिसंबर 2024 को संजीव जैन नाम के एक शख्स ने दाखिल की थी, जो पटपड़गंज निवासी और स्वयं को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया कि आतिशी ने अपने राजनीतिक पार्टी में हाई रैंक हासिल करने के लिए मनीष सिसोदिया को लाभ पहुंचाया। आरोप के मुताबिक, आतिशी ने सिसोदिया के परिवार को अपना सरकारी आवास रहने के लिए दिया, जो सरकारी संपत्ति का स्पष्ट दुरुपयोग और आवंटन और खाली कराने के नियमों का उल्लंघन है। 

आतिशी पर नियमों के उल्लंघन का आरोप

याचिकाकर्ता के मुताबिक, आतिशी को यह बंगला तब आवंटित किया गया था, जब वह आप सरकार में मंत्री थीं। यह आवंटन 19 अक्टूबर 2024 तक वैध था। याचिका में कहा गया कि मार्च 2023 में, जब मनीष सिसोदिया को जेल भेजा गया और उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, तब भी उनका परिवार आतिशी के सरकारी आवास में रह रहा था। इसे सरकार को अनुचित लाभ और हानि पहुंचाने का आरोप बताया गया।

अदालत का फैसला और मामले पर टिप्पणी  

मुख्य न्यायाधीश (कार्यवाहक) विभु बखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दों पर कार्रवाई करने का अधिकार संबंधित अधिकारियों के पास है। अदालत ने कहा कि अगर कोई नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो संबंधित प्राधिकरण इस पर कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। 

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सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग का आरोप

इस मामले में अदालत का फैसला AAP सरकार और उसके नेताओं के खिलाफ दायर आरोपों के राजनीतिक विवाद के बीच आया है। हालांकि अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन इसने एक बार फिर सरकारी संपत्ति के उपयोग और इसके दुरुपयोग के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है। यह मामला सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग के आरोपों और राजनीतिक दलों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों का एक उदाहरण है। अदालत के फैसले ने स्पष्ट कर दिया कि इस तरह के मामलों में, कानून और नियमों का पालन करना और संबंधित प्राधिकरणों की भूमिका अहम है।

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