Delhi Bus News: दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना के दिशा निर्देश पर तैयार नई योजना के तहत अब दिल्ली के तीनों आईएसबीटी, कश्मीरी गेट, आनंद विहार और सराय काले खां में आज मध्यरात्रि से बिना फास्टैग के निजी, राज्य सरकारों व अन्य परमिट वाली बसें प्रवेश नहीं कर पाएगी। इसके साथ ही आज 14-15 सितंबर 2024 की मध्यरात्रि से ही इन तीनों आईएसबीटी में नया स्टैंड शुल्क (पार्किंग चार्ज) भी लागू हो गया है।
25 मिनट से अधिक लेट पर जुर्माना
इसके साथ ही अगर कोई भी बस सरकार द्वारा तय समय सीमा 25 मिनट से ज्यादा देर तक आईएसबीटी के अंदर ही रहती है तो उससे प्रति पांच मिनट के हिसाब से तय जुर्माना वसूला जाएगा। यह कार्य बसों पर लगे फास्टैग के द्वारा बाहर निकलते समय अपने आप हो जाएगा। यानी कि बिना किसी मानव हस्तक्षेप के ही फास्टैग द्वारा जुर्माना वसूल लिया जाएगा। इसके लिए परिवहन विभाग व संबंधित विभागों के अधिकारियों ने मिलकर सिस्टम को अपडेट किया है। जिसमें फास्टैग आधारित प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए लॉजिस्टिक्स का अपग्रेड और पोर्टा केबिन, बैरियर का नवीनीकरण करना शामिल है।
बिना फास्टैग बसों को नहीं मिलेगी एंट्री
ऑपरेटर रूम व स्टोर रूम को वातानुकूलित बनाया गया है। इसके अलावा उन वाहनों को फास्टैग प्रदान करने का प्रावधान किया गया है जिनमें फास्टैग नहीं हैं। बता दें कि 31 अगस्त 2024 को एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव दिल्ली सहित अन्य अधिकारियों के साथ महाराणा प्रताप आईएसबीटी का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान सामने आई कई खामियों को दूर करने के लिए एलजी ने मौके पर ही निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद एलजी की अध्यक्षता में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत, मुख्य सचिव दिल्ली के अलावा अन्य अधिकारियों की संयुक्त बैठक में कई निर्णय लिए गए। जिसके बाद बनी योजना के तहत तीनों आईएसबीटी के लिए यह सिस्टम लागू किया गया है।
दिल्ली के तीनों आईएसबीटी पर नियम लागू
इस नए सिस्टम से तीनों आईएसबीटी में आने वाली बसों अधिक टर्नअराउंड होगी जिससे जहां यात्रियों को अधिक विकल्प मिलेंगे वहीं राजस्व भी बढ़ेगा। इसके अलावा आईएसबीटी के अंदर व बाहर जाम जैसे हालात पर काबू पाया जा सकेगा। नए सिस्टम से उम्मीद है कि प्रतिदिन 1700 बसों के मुकाबले अब रोजाना 3000 बसों की आवाजाही हो सकेगी। अभी तक कम उपयोग की वजह सरकारी और निजी बसों के बीच पार्किंग दरों में अंतर, पार्किंग स्थलों का खराब प्रबंधन, बस कर्मचारियों द्वारा टर्मिनलों को आरामगाह के रूप में इस्तेमाल करना और विस्तारित टर्नअराउंड समय के कारण अलग-अलग परिसंचरण जैसी प्रणालीगत समस्याएं थी।
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