Delhi Bus Marshall Proposal Controversy: दिल्ली में डीटीसी बस मार्शल विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आम आदमी पार्टी और बीजेपी एक दूसरे के खिलाफ बस मार्शलों को लेकर राजनीति करने के आरोप लगा रहे हैं। हाल में दिल्ली सरकार ने बस मार्शलों को लेकर महत्वपूर्ण प्रस्ताव एलजी के पास मंजूरी के लिए भेजा था। एलजी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। खास बात है कि एलजी ने इस पूरे प्रस्ताव को ही फर्जी करार दिया है। उन्होंने दिल्ली की सीएम आतिशी से तय मापदंडों के अनुरूप नए सिरे से प्रस्ताव भेजने की सलाह दी है।  

बस मार्शल प्रस्ताव पर एलजी का बयान

एलजी विनय सक्सेना ने कहा है कि बस मार्शल का प्रस्ताव 'अस्वीकार्य प्रस्ताव' है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ऐसी योजना बनाना सरकार के संवैधानिक मुखिया का काम नहीं है।

एलजी सक्सेना ने कहा कि किसी भी सभी दूसरे राज्य या भारत सरकार की तरह, सरकार की किसी भी योजना के लिए उसकी जरूरत, उद्देश्य, तैनाती का विवरण, आरक्षण प्रावधान में SC/ST/OBC/EWS और पर्याप्त बजटीय आवंटन जैसे पहलुओं पर विचार होना चाहिए। यह सब मुख्यमंत्री और मंत्रियों के अधीन विभागों द्वारा किया जाना चाहिए। 

उन्होंने यह भी कहा कि 'बस मार्शल' शब्द एक गलत धारणा है, जिसे जानबूझकर आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने लोगों को गुमराह करने के लिए बनाया है। ये पद वास्तव में सिविल डिफेंस वालंटियर्स के थे, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने समाप्त कर दिया था।  

सीएम आतिशी को दी सलाह

एलजी ने मुख्यमंत्री आतिशी को सुझाव दिया कि वह परिवहन मंत्री और अतिरिक्त मुख्य सचिव को इस विषय पर नीति बनाने का निर्देश दें और फिर इसे उनके विचार के लिए प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि यह एक नीतिगत मामला है और पूरी तरह से सरकार के दायरे में आता है। इस पर एलजी ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस के नियंत्रण में पहले से ही होम गार्ड्स का एक संरचित कैडर है। उन्होंने सुझाव दिया कि परिवहन विभाग को दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर होम गार्ड्स की तैनाती के लिए काम करना चाहिए।  

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क्या है दिल्ली सरकार का पलटवार?
  
इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर बस मार्शलों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एलजी ने एक साजिश के तहत बस मार्शलों को हटाया और अब बहाने बना रहे हैं। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी के कार्यालय से आए नोट में बीजेपी की मंशा साफ हो गई है। यह बस मार्शलों को हटाने की एक बड़ी साजिश है। दिल्ली सरकार ने कई बार अनुरोध किया है, लेकिन एलजी कोई ठोस कदम उठाने से बच रहे हैं।

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बस मार्शल योजना का क्या है भविष्य?

दिल्ली सरकार और एलजी के बीच इस मुद्दे पर टकराव जारी है। जहां एक ओर एलजी ने नीति निर्माण को सरकार का काम बताया, वहीं दिल्ली सरकार का कहना है कि बस मार्शलों को हटाने का निर्णय जनता और वालंटियर्स के हितों के खिलाफ है। इस विवाद से बस मार्शल योजना का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।