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Arvind Kejriwal Bail: दिल्ली शराब घोटाले जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी। जानें इस केस में केजरीवाल की गिरफ्तारी से लेकर नियमित जमानत कर कब क्या-क्या हुआ?

Arvind Kejriwal Bail: दिल्ली शराब घोटाले जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को सीएम केजरीवाल को 1 लाख रुपये के मुचलके पर नियमित जमानत दे दी। हालांकि, सीएम की जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपील के लिए 48 घंटे का समय मांगा था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब अरविंद केजरीवाल आज शुक्रवार को तिहाड़ जेल से दोपहर तक बाहर आ सकते हैं। चलिए जानते हैं दिल्ली शराब नीति से जुड़े केस में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और फिर नियमित जमानत तक क्या-क्या हुआ।

अरविंद केजरीवाल से जुड़े केस में क्या-क्या हुआ?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 23 मार्च को ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी और उन्हें एजेंसी की हिरासत में भेजने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 9 अप्रैल को हाई कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी।

10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे केजरीवाल

हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद अरविंद केजरीवाल 10 अप्रैल को ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी से 24 अप्रैल तक जवाब मांगा।

ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को 24 अप्रैल को बताया कि जांच अधिकारी (IO) के पास मौजूद सामग्री यह पुष्टि करती है कि केजरीवाल मनी लॉन्ड्रिंग मामले के दोषी हैं। इसके बाद 27 अप्रैल को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में उनकी 'अवैध गिरफ्तारी' 'स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव' पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर एक हमला है।

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को फिर से सुनवाई करते हुए बयान दर्ज कराने के लिए बार-बार समन भेजने के बावजूद ईडी के समक्ष केजरीवाल के पेश न होने पर सवाल उठाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 3 मई को कहा कि वह मौजूदा लोकसभा चुनावों के मद्देनजर केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकता है।

10 मई को केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई केजरीवाल के अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई की और कहा कि वह केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर 10 मई को अपना फैसला सुनाएगा। इसके बाद 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी और कहा कि उन्हें 2 जून को सरेंडर करना होगा और वापस जेल जाना होगा।

30 मई को मेडिकल ग्राउंड्स पर मांगी थी अंतरिम जमानत

इस बीच 30 मई को अरविंद केजरीवाल ने मेडिकल ग्राउंड्स पर अंतरिम जमानत के लिए दिल्ली की अदालत का रुख किया। केजरीवाल की याचिका पर कोर्ट ने 1 जून को सुनवाई की और 5 जून तक फैसला सुरक्षित रखा। 5 जून को कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड्स पर केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया।

20 जून को मिली अरविंद केजरीवाल को जमानत

इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली ने नियमित जमानत के लिए दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी और फिर इसके बाद 20 जून को कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को रेगुलर बेल दे दी। 20 जून यानी गुरुवार को अवकाशकालीन न्यायाधीश नियाय बिंदु ने मामले की सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद कोर्ट ने शाम को ही फैसला सुनाते हुए केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी।

21 मार्च को हुई थी गिरफ्तारी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आबकारी नीति 'घोटाले' से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को कई बार समन भेजा गया, उन्होंने कोर्ट से राहत की मांग की, लेकिन सीएम को राहत नहीं मिली। इसके बाद ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को दो घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में थे। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए सीएम केजरीवाल को 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी, जो एक जून को समाप्त हो हुई और 2 जून अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर किया।

क्या है ईडी का आरोप?

ईडी का आरोप है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अब रद्द कर दी गई आबकारी नीति का मसौदा तैयार करने और शराब लाइसेंस के बदले रिश्वत मांगने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एजेंसी ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी जिसका इस्तेमाल उसके गोवा और पंजाब चुनाव अभियानों के लिए किया गया था।

कब लागू हुई थी दिल्ली नई आबकारी नीति

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू की। नई आबकारी नीति में भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने सितंबर 2022 में इस पॉलिसी को रद्द कर दिया।

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