Lord Jagannath Yatra: ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ का विशेष स्नान होता है। साल भर में किया जाने वाला यह स्नान भगवान जगन्नाथ के प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में किया जाता है। इसे स्नान यात्रा उत्सव के रूप में जगन्नाथ पुरी के साथ-साथ देश-दुनिया के सभी इस्कॉन मंदिरों में मनाया जाता है। इस्कॉन द्वारका श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर सेक्टर 13 में भगवान जगन्नाथ का स्नान यात्रा उत्सव 22 जून को मनाया जा रहा है।

इस विशेष जल से होगा महाभिषेक

इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ जी के प्राकट्य से जुड़ी कथा का आरंभ प्रातः 8 बजे से होगा। उत्सव के उपलक्ष्य में पूरे मंदिर को अनेक प्रकार के सुगंधित फूलों से सजाया गया है। साढ़े चार बजे से कीर्तन मेला आरंभ हुआ है, जिसमें विभिन्न वैष्णवों द्वारा हरि नाम संकीर्तन यज्ञ किया जा रहा है। शाम 5 बजे महा अभिषेक किया जाएगा वहीं शाम 5 बजे से ही मंदिर प्रांगण में फूड कार्निवल भी शुरू होगा, जिसमें उड़िया के अनेक व्यंजन प्रस्तुत किए जाएंगे। शाम 6 बजे जगन्नाथ पुरी धाम के दिव्य कूप का विशेष जल (गंगा, यमुना, सरस्वती का सम्मिश्रण) से भगवान का महाभिषेक किया जाएगा।

सेल्फी प्वाइंट्स भी बनाए गए हैं

अभिषेक किए जाने वाले पात्र मिट्टी से बने हुए होंगे और मिट्टी से बने हुए इन पात्र यानी गोल मटकों पर जगन्नाथ जी की तस्वीर बनाकर उसे पेंट किया जाएगा और फिर उन मटकों से भगवान जगन्नाथ जी का अभिषेक किया जाएगा। स्नान के पश्चात उनका सुगंधित फूलों से अभिषेक किया जाएगा। शाम साढ़े सात बजे भगवान को विशेष उड़िया भोग अर्पित किए जाएंगे। तत्पश्चात महाआरती होगी। फिर सबके लिए प्रसादम की व्यवस्था रहेगी। सेल्फी प्वाइंट्स का आकर्षण व गोपी डॉट्स के स्टॉल भी होंगे।

इस दिन की पौराणिक परंपरा

इस दिन परंपरा के अनुसार अपने भक्तों को भगवान हाथीवेश अथवा गजवेश के रूप में दर्शन देंगे। जिसमें भगवान जगन्नाथ और भगवान बलराम हाथी की पोशाक पहनते हैं, और मैया सुभद्रा कमल के फूल की पोशाक पहनती हैं। कुछ लोग इसे गज स्नान भी कहते हैं क्योंकि एक भक्त के लिए भगवान ने गज वेश धारण किया था। ऐसा कहा जाता है कि एक कट्टर भक्त एवं प्रखर विद्वान जिसका नाम गणपति भट्ट था वह स्नान यात्रा के दौरान पुरी आया हुआ था। उसे उसकी विद्वता के लिए उड़ीसा के राजा ने भरपूर पुरस्कार भी दिया था।

राजा ने विद्वान को भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए अपने साथ चलने को कहा। उसके मन में जो जगन्नाथ जी की छवि थी वह परब्रह्म के रूप में थी और वह उसी रूप में उनको देखने आया था, तो जब वह देखने गया तो उसने देखा कि वो तो जगन्नाथ जी के रूप में हैं, तो वो उदास होकर वापस जाने लगा। तब वहां के जो प्रमुख पुजारी थे जिसे मुख्य पंडा कहते हैं उन्होंने भगवान के रूप में आकर के बोला कि तुम मत जाओ और प्रणाम करो। जब तुम प्रणाम करके उठोगे तो तुमको भगवान उसी वेश में दिखेंगे जिस वेश में तुम देखना चाहते हो।

भगवान को गज वेश में सजाया जाता है

इसके बाद उस विद्वान गणपति भट्ट ने भगवान के स्वरूप को एक गज वेश में धारण किया क्योंकि उसने पुराणों में पढ़ा था कि भगवान जो है उनका मुख बहुत बड़ा है और वो बड़ा विशाल है। तो उसी प्रकार उनको जब गजवेश का दर्शन कराया तो फिर उसके बाद वो मुक्त हो करके भगवान के विग्रह में लीन हो गए। तब से स्नान यात्रा के दौरान जब भगवान का पवित्र स्नान किया जाता है, तो भगवान को गज वेश में सजाया जाता है। इस उत्सव में सम्मिलित होने के लिए आप भी जा सकते हैं और स्नान यात्रा उत्सव का आनंद उठाइए।

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