AI Face Recognition System: दिल्ली पुलिस ने बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने के लिए नई तकनीक का सहारा लिया है। एआई आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) ने अपराधियों के होश उड़ा दिए हैं। अब अपराधियों के लिए दिल्ली में छुप पाना बेहद मुश्किल हो गया है। असल में दिल्ली पुलिस ने एआई आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) की मदद से एक शातिर चोर को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने कश्मीरी गेट इलाके में एक बस यात्री का मोबाइल चोरी किया था। एफआरएस तकनीक की सहायता से पुलिस ने आरोपी की पहचान 22 वर्षीय तौफीक के रूप में की, जो पहले भी चोरी और स्नैचिंग के दो मामलों में शामिल रह चुका है।
कैसे पकड़ा गया आरोपी?
नॉर्थ जिले के डीसीपी राजा बांठिया ने जानकारी देते हुए बताया कि 16 दिसंबर को कश्मीरी गेट इलाके में पेट्रोलिंग के दौरान कॉन्स्टेबल तुषार ने एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा। तलाशी लेने पर उसके पास से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ। जब उससे मोबाइल के बारे में पूछताछ की गई तो वह गुमराह करने की कोशिश करने लगा। इसके बाद आरोपी की तस्वीर ली गई और आईटी इंचार्ज एसआई विनोद को भेजी गई। एफआरएस तकनीक से तस्वीर का डेटा स्कैन किया गया, जिससे आरोपी की पहचान तौफीक के रूप में हुई।
कॉल रिकॉर्ड से खुला मामला
पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि कुछ समय पहले एक पीसीआर कॉल में एक बस यात्री ने शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि जब वह बस में चढ़ रहा था, उसकी जेब से मोबाइल चोरी कर लिया गया। पुलिस ने बरामद मोबाइल की पुष्टि कर ली है और इसे मूल मालिक को लौटाने की प्रक्रिया जारी है। बता दें कि गिरफ्तार आरोपी तौफीक, वजीराबाद के अफगानी चौक का निवासी है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वह पहले भी स्नैचिंग और चोरी के दो मामलों में शामिल रह चुका है।
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AI तकनीक बनी मददगार
दिल्ली पुलिस ने बताया कि एआई आधारित तकनीक से बदमाशों की पहचान और गिरफ्तारी का काम बेहद आसान हो गया है। यह तकनीक खासकर लूटपाट और झपटमारी जैसे मामलों में बेहद प्रभावी साबित हो रही है। दिल्ली पुलिस लगातार एआई की मदद से अपराधियों पर शिकंजा कस रही है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें। साथ ही, जेबकतरे और लुटेरों से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी बरतें।
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कैसे काम करती है AI आधारित FRS तकनीक?
दिल्ली पुलिस के अनुसार, एफआरएस तकनीक के जरिए संदिग्ध व्यक्ति की तस्वीर को डेटाबेस से मिलाया जाता है। अगर किसी अपराधी का रिकॉर्ड पहले से मौजूद है, तो उसकी पहचान तुरंत हो जाती है। इस तकनीक की मदद से पुलिस ने न केवल मामलों को सुलझाने में तेजी लाई है, बल्कि अपराधियों की धरपकड़ भी आसान हो गई है।