दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और यूनाइटेड अंगेस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी समेत 13 आरोपियों के लिए आरोप तय किए हैं। आरोपों में हत्या का प्रयास और गैरकानूनी रूप से भीड़ लगाने के आरोप शामिल हैं। हालांकि अदालत ने आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने, उकसाने और आर्म्स एक्ट के आरोपों से बरी कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने आपराधिक साजिश के आरोप का जिक्र करते हुए निष्कर्ष निकाला कि आरोपी के खिलाफ उक्त आरोप "किसी भी तर्क से पूरी तरह से रहित" था। हालांकि कोर्ट ने पाया कि आरोपी व्यक्ति प्रथम दृष्टया दंगा करने वाली सशस्त्र भीड़ का हिस्सा थे, जो कि इकट्ठा हुए थे। इस भीड़ ने पुलिस के उन निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया था, जिससे भीड़ तितर बितर हो सके। दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि पथराव किया गया था और पुलिस अधिकारियों पर भी हमला किया गया था।
जगतपुरी पुलिस ने आरोपी इशरत जहां, खालिद सैफी, विक्रम प्रताप, समीर अंसारी उर्फ समीम, मो. सलीम उर्फ समीर प्रधान, साबू अंसारी, इकबाल अहमद, अंजार उर्फ भूरा, मो. इलियास, मो. बिलाल सैफी उर्फ लांबा, सलीम अहमद उर्फ सलीम उर्फ गुंडा, मोहम्मद, यामीन उर्फ यामीन कूलरवाला और शरीफ खान उर्फ शरीफ खुरेजी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। बता दें कि इशरत जहां भी साजिश रचने के मामले में आरोपी है। वर्तमान में जमानत पर बाहर है।