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Delhi Traffic Advisory: दिल्ली में तीन दिनों के लिए राधा स्वामी सत्संग ब्यास समागम होने के कारण रूट डायवर्ट किया गया है, जिसको लेकर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है।

Delhi Traffic Advisory: दिल्ली के कुछ इलाकों में तीन दिनों के लिए रूट डायवर्ट किया गया है। यह डायवर्जन राधा स्वामी सत्संग ब्यास समागम के कारण 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर के बीच किया जा रहा है। दरअसल, शुक्रवार से रविवार तक राधा स्वामी सत्संग परिसर, भाटी माइंस, महरौली और छतरपुर में सुबह चार से शाम बजे तक सत्संग समागम आयोजित किया जाएगा। इस समागम में तीन लाख से चार लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए रूट डायवर्ट किया गया है और आवागमन की बेहतर सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। अगर आप भी दिल्ली-एनसीआर में लगातार सफर करते हैं, तो आपको एडवाइजरी जरूर पढ़नी चाहिए। 

इन रास्तों पर न जाने की सलाह

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुबह 4 बजे से शाम 6.30 बजे तक छतरपुर के एसएसएन मार्ग, गुड़गांव रोड टी पॉइंट और सत्संग कॉम्प्लेक्स के बीच भाटी माइंस रोड पर भारी वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा। साथ ही आम जनता को भी सुबह सुबह 4 बजे से शाम 6.30 बजे तक इस रास्ते से न जाने की सलाह दी गई है।

बता दें कि सभी रास्तों पर बस आपातकालीन सेवा वाहनों को जाने की अनुमति है। डेरा मोड़ और मंडी बॉर्डर से फरीदाबाद आने वाले आपातकालीन वाहनों को किसी भी असुविधा से बचने के लिए महरौली-गुरुग्राम रोड से जाने की सलाह दी गई है। लोगों को भीड़भाड़ और लंबे जाम से बचने के लिए सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी गई है। 

श्रद्धालु इन बातों का रखें ध्यान

ट्रैफिक एडवाइजरी में कहा गया है कि भक्तों की एंट्री भाटी माइंस रोड से होगी। सत्संग में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को 6 बजे से पहले यहां पहुंचने की सलाह दी गई है। यहां पर जो लोग अपने निजी वाहनों से आएंगे, उनके लिए पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की हई है। छतरपुर के एसएसएन मार्ग पर किसी भी तरह की पार्किंग की सुविधा नहीं है। असुविधा से बचने के लिए सभी भक्तों को डेरा बॉर्डर से होते हुए भाटी माइंस परिसर में पहुंचने की सलाह दी गई है। 

बड़ी संख्या में शामिल होंगे श्रद्धालु

बता दें कि इस समागम में लगभग तीन से चार लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इनमें से लगभग 80 हजार से 90 हजार श्रद्धालु रात भर यहां रुकते हैं। वहीं दिल्ली-एनसीआर या आसपास के लोग शाम को वापस अपने घर चले जाते हैं।

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