Delhi University: फीस बढ़ाने जा रही दिल्ली यूनिवर्सिटी, छात्रों और शिक्षकों की बढ़ी टेंशन
Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की फीस 10 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया है। इससे छात्रों और शिक्षकों की टेंशन बढ़ गई है। छात्रों का कहना है कि दिल्ली जैसे शहर में रहकर खर्चा निकाल पाना मुश्किल है और ऐसे में फीस बढ़ाने का निर्णय हमारे लिए कष्टदायक है। ;

Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स की फीस बढ़ाने पर विचार कर रहा है। अगर फीस बढ़ती है, तो साथ ही छात्रों की टेंशन भी बढ़ जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय की तरफ से योजना बनाई जा रही है कि वे वित्तीय वर्ष 2025-26 में छात्रों की फीस से 246 करोड़ रुपये से ज्यादा कमा सकें। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार उम्मीद से ज्यादा फीस बढ़ सकती है।
शिक्षक और छात्रों में चिंता
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों की फीस को ही अपनी कमाई का मुख्य जरिया मानता है। ऐसे में कई सालों से लगातार फीस बढ़ाई जा रही है। हालांकि फीस बढ़ने के बाद शिक्षक और छात्र दोनों ही चिंता जता रहे हैं। फीस बढ़ने पर लोगों का कहना है कि अगर किसी सरकारी संस्थान में इसी तरह फीस में बढ़ोतरी होती रहेगी, तो कम लोगों तक शिक्षा पहुंच पाएगी। कई छात्रों ने आर्थिक बोझ के साथ फीस बढ़ने पर चिंता जताई।
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दिल्ली जैसी जगह पर खर्च बहुत ज्यादा
छात्रों का कहना है कि पहले से ही दिल्ली में रहने का खर्च बहुत ज्यादा है। पढ़ाई का खर्च उठाना बहुत मुश्किल हो रहा है और ऐसे में फीस बढ़ने के बाद दबाव और बढ़ जाएगा। छात्र ने सवाल किया कि अगर इसी तरह से हर साल फीस बढ़ती जाएगी, तो छात्र शहर के बढ़ते खर्चों का सामना कैसे करेंगे? वहीं एक दूसरे छात्र ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय की फीस कम थी और इसी वजह से मैंने यहां एडमिशन लिया और अब ये भी फीस बढ़ा रहे हैं।
विश्वविद्यालय ने दी सफाई और शिक्षकों ने जताया रोष
वहीं विश्वविद्यालय की तरफ से इसका बचाव करते हुए कहा गया कि महंगाई से निपटने के लिए सालाना 10 फीसदी फीस बढ़ाना हमारी नीति का हिस्सा है। वहीं इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय की एक शिक्षिका ने इस प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह से लगातार फीस बढ़ने के कारण शिक्षा अधिकार की बजाय विलासिता बनती जा रही है। खासकर उन छात्रों के लिए जिनके परिवार की आय कम है। अगर डीयू जैसे सरकारी संस्थान इस तरह के तरीके अपनाएंगे, तो सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में क्या फर्क रह जाएगा? छात्रों के साथ ही शिक्षकों ने भी विश्वविद्यालय के इस कदम का विरोध किया।
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