CAG Report: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद नवनिर्वाचित सरकार ने सबसे पहले CAG रिपोर्ट सदन में पेश करने की घोषणा की। बीते दिन सीएम रेखा गुप्ता ने शराब घोटाला मामले को लेकर सीएजी की पहली रिपोर्ट पेश की। वहीं सीएजी रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और देवेंद्र यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने सभी 14 सीएजी रिपोर्ट्स को लेकर कुछ मांगें की हैं।
देवेंद्र यादव ने की ये मांगें
देवेंद्र यादव ने CAG रिपोर्ट को लूट, झूठ और फूट शब्दों में बयां किया है। देवेंद्र यादव ने कहा कि CAG रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल्ली की जनता का पैसा लुटाया गया। पूर्व दिल्ली सरकार कहती थी कि वो दिल्ली के राजस्व को बढ़ा रहे हैं लेकिन सच तो ये है कि 2002 करोड़ रुपए की लूट की घटना को अंजाम दिया गया। इन लोगों ने एक्सपर्ट्स कमेटी की सलाह को भी नजरअंदाज किया। इससे ये तो साफ हो गया कि AAP के लोग इस लूट को लेकर जो झूठ बोल रहे थे। वहीं उन्होंने कहा कि भाजपा और आप के बीच फूट के कारण ही विधानसभा में CAG रिपोर्ट पर चर्चा नहीं हो पा रही है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि-
- शराब घोटाले की जांच का दायरा व्यापक किया जाना चाहिए।
- कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ कुछ लिखित शिकायतें दी हैं, जिनपर जांच होनी चाहिए।
- साथ ही शराब घोटाले पर बोले जा रहे झूठों के बारे में सार्वजनिक मंच पर चर्चा की जाए।
भाजपा पर लगाए ये आरोप
देवेंद्र यादव ने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा ने शराब नीति मामले में कुछ सवाल नजरअंदाज किए हैं। जो इस प्रकार हैं-
- पहला सवाल ये है कि 1 साल के अंदर तीन आबकारी निदेशकों को बदलने का निर्णय क्यों लिया गया और ये निर्णय किसने लिया?
- दिल्ली में शराब के नए ब्रांड्स को बढ़ावा देने का काम किया गया, जो इस रिपोर्ट में नजरअंदाज किया गया , इसकी जांच होनी चाहिए।
- उन्होंने सवाल उठाया कि केजरीवाल सरकार की शराब नीति को लागू करने की अनुमति तत्कालीन राज्यपाल ने दी थी, इसपर कोई जांच क्यों नहीं हुई।
- शराब नीति के लिए मास्टर प्लान का उल्लंघन करके शराब के ठेके खोलने के लाइसेंस कैसे दिए गए?
- जिस समय दिल्ली में शराब के अनेक ठेके खोले जा रहे थे, उस समय कॉर्पोरेशन में BJP थी और कॉर्पोरेशन की अनुमति के बिना शराब के ठेके कैसे खोले गए क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता।
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संदीप दीक्षित ने की ये मांग
वहीं इस मामले पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि जिस मंशा से शराब नीति बनी थी, उसे बार-बार बदला गया। इसमें पहले 77 लोगों की भागीदारी थी, जो बाद में घटकर 14 हो गई। ये सभी 14 संस्थाएं आपस में संबंध रखती हैं। कुछ संस्थाएं देश के उन हिस्सों से आती हैं, जहां के राजनेता AAP सरकार से संबंध बनाकर चलते हैं। शराब नीति के बनने से लगभग 8 या 9 महीने पहले ही नीति की बारीकियां चर्चा में आ गई थीं। उनका कहना है कि अधिकारियों ने कहा था कि 'ये नीति ही सरकार और शराब के ठेकेदारों के बीच के संबंधों और उनके फायदों के कारण बनी थीं।' संदीप दीक्षित ने इस पहलू की अलग से जांच करने की मांग की है।
आम आदमी पार्टी पर लगाए ये आरोप
संदीप दीक्षित ने शराब नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि दिल्ली में पहले लगभग 377 रिटेलर्स थे। इनमें से 262 प्राइवेट किए जाते थे बाकी सब सरकारी कंपनियां बेचा करती थीं। हालांकि नई शराब नीति आने के बाद लगभग 850 रिटेलर्स हो गए और सिर्फ 22 प्राइवेट प्लेयर बचे। इस दौरान कुछ ऐसी ब्रांड्स को भी प्रमोट किया गया, जिन्हें दिल्ली एनसीआर में पसंद नहीं किया जाता था। वहीं बहुत सी ब्रांड्स को दबाया भी गया। इसमें करप्ट प्रैक्टिस की भी बात कही गई। साफ शब्दों में कहें, तो सरकार की तरफ से मार्केट कंपटीशन को गलत तरीके से डील किया गया। दिल्ली में पंजाब के ब्रांड्स को प्रमोट किया गया। सभी को पता है कि उस समय भी पंजाब में AAP की सरकार थी। संदीप दीक्षित ने इस मामले में आपराधिक जांच की मांग की।
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