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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने यमुना नदी की सफाई के लिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार कर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को सौंप दी है। इस योजना में 100 प्रतिशत सीवेज ट्रीटमेंट, प्रमुख नालों की सफाई और नदी तटों के सौंदर्यीकरण पर विशेष जोर दिया गया है।

Yamuna cleaning plan DPCC PMO: दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार बनने से पहले ही यमुना नदी की सफाई को लेकर बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने इस दिशा में एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को सौंप दी है। इस योजना में यमुना के पुनर्जीवन और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई अहम उपायों का उल्लेख किया गया है।  

योजना में किन बिंदुओं पर दिया गया जोर?

DPCC द्वारा प्रस्तुत योजना में यमुना नदी की सफाई को प्राथमिकता दी गई है। इसमें प्रमुख नालों की निकासी, नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की स्थापना और अतिक्रमण हटाने पर जोर दिया गया है। जेजे क्लस्टरों और अनधिकृत कॉलोनियों में सीवेज नेटवर्क के विस्तार की योजना बनाई गई है, जिससे गंदे पानी का सही निपटान हो सके। नदी में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह (E-Flow) बनाए रखने के लिए भी ठोस कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा, पुराने घाटों के रेस्टोरेशन और बायोडायवर्सिटी पार्कों के निर्माण से यमुना के तटों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा।

सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र और इसकी चुनौतियां

डीपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, पल्ला से असगरपुर गांव तक यमुना का 48 किलोमीटर लंबा हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषित है। इस खंड में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर की निर्धारित सीमा से अधिक है, जिससे पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली में यमुना का प्रवाह लगभग शून्य है, जिससे नदी में गंदगी लगातार बढ़ रही है। इस समस्या के समाधान के लिए रेणुका, लखवार और किशाऊ जैसी लंबित बांध परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की जरूरत बताई गई है।  

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और नालों पर क्या योजना?

यमुना में बहने वाले 22 नालों को रोकने और मोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक 10 नाले टैप किए जा चुके हैं, जबकि 2 आंशिक रूप से टैप हुए हैं। शेष 8 नालों को टैप करने का कार्य जारी है। वहीं, दिसंबर 2025 तक 48.14 एमजीडी अपशिष्ट जल को डायवर्ट करने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा, दिसंबर 2026 तक दिल्ली की सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता को 792 एमजीडी से बढ़ाकर 964.5 एमजीडी करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत दिल्ली गेट पर एक नया एसटीपी बनाया जाएगा और 40 विकेन्द्रीकृत एसटीपी (DSTP)  स्थापित किए जाएंगे।  

अतिक्रमण और बाढ़ मैदानों को लेकर उठाए गए कदम

यमुना के किनारे अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए पिछले 31 महीनों में 1,500 एकड़ से अधिक क्षेत्र को खाली कराया गया है। ड्रोन सर्वेक्षण के माध्यम से अतिक्रमण की पहचान की जा रही है। डीडीए को जैव विविधता पार्क विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। निर्माण से जुड़े मलबे को हटाने और पर्यावरणीय सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

नदी तट के सौंदर्यीकरण और जैव विविधता पार्कों का विकास

DPCC की योजना में यमुना नदी के किनारों को हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 1600 हेक्टेयर में फैले 11 जैव विविधता पार्कों के निर्माण का प्रस्ताव है। ऐतिहासिक घाटों के संरक्षण और सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है। वासुदेव घाट पहले से विकसित किया जा चुका है, और अन्य घाटों को पुनर्जीवित करने की योजना है।

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सरकार और पर्यावरणविदों की क्या राय?

DPCC के अधिकारियों का मानना है कि इस योजना के सफल क्रियान्वयन से यमुना का जल स्तर सुधरेगा, प्रदूषण कम होगा और नदी का प्राकृतिक स्वरूप बहाल किया जा सकेगा। पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर यह योजना सही तरीके से लागू की जाती है, तो आने वाले वर्षों में दिल्ली की यमुना एक बार फिर निर्मल और स्वच्छ बह सकती है।

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