प्रदूषण कंट्रोल की दिशा में बड़ा कदम: बायो-मेडिकल वेस्ट कार्यशाला का उद्घाटन, जानें क्या बोले मंत्री सिरसा

Manjinder Singh Sirsa
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दिल्ली बीजेपी मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा।
Delhi Environment: प्रदूषण दिल्ली की बड़ी समस्या है। इसको लेकर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने बायो-मेडिकल वेस्ट कार्यशाला का उद्घाटन किया है।

Delhi Environment: पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शुक्रवार को बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन जागरूकता कार्यशाला का उद्घाटन किया। यह कार्यशाला दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और सेंटर फॉर ऑक्यूपेशन एंड एनवायरनमेंट हेल्थ (सीओईएच) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। दिल्ली सचिवालय के ऑडिटोरियम में हुई इस कार्यशाला में सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मंत्री ने कचरे के निपटान के प्रयासों की सराहना की

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन से जुड़े नियमों की जानकारी देना, उचित तरीके से निस्तारण को बढ़ावा देना और अस्पतालों को प्रभावी वेस्ट प्रबंधन नीतियां अपनाने के लिए प्रेरित करना था। इस दौरान बायो-मेडिकल वेस्ट के निपटान से जुड़े दिशा निर्देशों, महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं और सरकार द्वारा लागू नियमों पर चर्चा की गई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा जिम्मेदार तरीके से कचरे के निपटान के प्रयासों की सराहना की।

'सभी बायो-मेडिकल वेस्ट हानिकारक नहीं होता'

उन्होंने कहा कि बायो-मेडिकल वेस्ट का सही प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। सरकार इस दिशा में अस्पतालों का पूरा सहयोग कर रही है, और इस तरह की कार्यशालाएं उन्हें जिम्मेदारी से वेस्ट के निपटान की प्रक्रिया अपनाने के लिए मार्गदर्शन देंगी। कार्यशाला के दौरान यह बात सामने आई कि सभी बायो-मेडिकल वेस्ट हानिकारक नहीं होता, लेकिन यदि हानिकारक और गैर-हानिकारक वेस्ट को अलग-अलग नहीं किया जाए, तो गैर-हानिकारक वेस्ट भी हानिकारक बन सकता है।

पर्यावरण पर पड़ सकता है गंभीर प्रभाव

यह न केवल पर्यावरण बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। लेकिन उचित छंटाई, संग्रहण और निस्तारण से बचा जा सकता है। कार्यशाला के दौरान बताया गया कि दिल्ली ने पर्यावरण प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। सरकार द्वारा निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, कचरा प्रबंधन नीतियां और सस्टेनेबल उपायों को बढ़ावा देने जैसे कई प्रयास किए जा रहे हैं। कार्यशाला में इस बात पर चर्चा कि गई की अनुचित तरीके से बायो-मेडिकल कचरे का निपटान करने से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

हर रोज 31 मीट्रिक टन बायो-मेडिकल कचरा होता है उत्पन्न

दिल्ली में वर्तमान में स्वास्थ्य संस्थानों से रोज लगभग 31 मीट्रिक टन बायो-मेडिकल कचरा उत्पन्न होता है। इसकी संभावित हानिकारक प्रकृति को देखते हुए, बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है। दिल्ली में वर्तमान समय में दो बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र संचालित हैं, जिनकी कुल क्षमता 62.8 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। इन केंद्रों की मदद से बायो-मेडिकल कचरे को नियंत्रित और पर्यावरण-सुरक्षित तरीके से निस्तारित किया जाता है।

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