Famous Dargah in Delhi: दिल्ली शहर अपने समृद्ध इतिहास के लिए काफी मशहुर है। इस शहर में कई मंदिरों, मस्जिद और दरगाह जो देखने में बेहद ही खुबशुरत है। यहां 22 सूफी संतों की दरगाह जो अपने में ही काफी फेमस होने के साथ-साथ खूबसूरत भी है। आज हम ऐसे ही कुछ मशहूर दरगाह के बारे में बताने वाले हैं, जहां आप शांति से अपनी शाम बिता सकते हैं। गुरुवार के दिन कई दरगाहों में कव्वाली आयोजित कि जाती है। इस दिन यहां पर काफी भीड़ भी देखने को मिलती है।
हजरत निजामुद्दीन दरगाह
हजरत निजामुद्दीन दरगाह दिल्ली के सबसे लोकप्रिय दरगाह में से एक है, जिसे हजरत निजामुद्दीन औलिया की याद में बनाया गया था, जो 1238 से 1325 तक जीवित रहे और एक बहुत लोकप्रिय सूफी चिश्ती संत और अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उत्तराधिकारी थे। यह दरगाह न केवल मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह इस बात का भी एक आदर्श प्रमाण है कि भारत में विभिन्न धर्मों के लोग शांतिपूर्वक कैसे रहते थे। दरगाह की फेमस गुरुवार की कव्वाली और अक्सर फिल्मों में दिखाए जाने की वजह से ये जगह लोगों के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय है।
ख्वाजा नसीरुद्दीन चिराग-ए-दिल्ली
ख्वाजा नसीरुद्दीन चिराग-ए-दिल्ली 14वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध सूफी संत थे। वह हजरत निजामुद्दीन औलिया के पांचवें आध्यात्मिक उत्तराधिकारी थे। उनकी मृत्यु के बाद, दिल्ली में सूफी चिश्ती सिलसिला टूट गया। चिराग दिल्ली में उनका मकबरा फिरोज शाह तुगलक द्वारा बनवाया गया था। उनके मकबरे का कई बार जीर्णोद्धार किया गया है और आज इसमें 12 स्तंभों वाला एक वर्गाकार कक्ष है। यह वास्तव में रहस्यमय और एक आकर्षक मकबरा है जो देखने में काफी सुंदर है।
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दरगाह
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दिल्ली में सूफी चिश्ती संप्रदाय के एक लोकप्रिय संत थे। वह मोइनुद्दीन चिश्ती के पहले आध्यात्मिक उत्तराधिकारियों में से एक थे और दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के साथ-साथ लोधी राजवंश भी उनका सम्मान करते थे। महरौली में उनका दरगाह काफी सुंदर है और इसके चारों ओर आध्यात्मिक आभा फेली हुई है। यहां पर हर गुरुवार और शुक्रवार को कव्वालियों का आयोजन किया जाता है और यहां प्रार्थना करने वालों की काफी भीड़ भी उमड़ती है। आप भी यहां के कव्वाली का आनंद लेने के लिए एक बार जरूर जाएं।
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हजरत इनायत खान दरगाह
हजरत इनायत खान की दरगाह एक निजी संपत्ति है और इसकी देखभाल एक निजी ट्रस्ट के माध्यम से अपने नियमों के साथ की जाती है। दरगाह के आसपास की सड़कें खड़ी और भीड़भाड़ वाली हैं, लेकिन इसका स्थान निजामुद्दीन के पास होने के कारण, दरगाह एक अच्छी तरह से बनाए हुए नखलिस्तान से घिरी हुई है और इसकी वास्तुकला भी सुंदर है, जो ऊंची पत्थर की दीवारों से ढकी हुई है। लेकिन आपको यहां जाने के लिए गार्ड की अनुमति पड़ेगी, ताभी आप यहां जा सकते हैं।