Finance department stops Chief Minister's Women Honor Scheme:  महिलाओं के लिए दिल्ली सरकार की 1000 महीने की योजना मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी, लेकिन वित्त विभाग द्वारा इसे रिस्की बताए जाने के बाद इस योजना पर सवाल उठने लगे हैं। इस योजना की घोषणा ने महिलाओं के सशक्तिकरण के वादे को नई दिशा देने का प्रयास किया था, लेकिन वित्त विभाग ने इसे आर्थिक तौर पर लंबी फाइनेंसियल बोझ बताया। 

योजना पर वित्त विभाग की चिंता

योजना को लागू करने में संभावित जोखिम और भारी खर्च की वजह दिल्ली सरकार को इसे फिर से विचार करने के लिए रोकना पड़ा है। असल में दिल्ली सरकार की 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना' को लेकर फाइनेंस डिपार्टमेंट ने चिंता जताई है। विभाग का मानना है कि इस योजना को लागू करने से सरकार का सब्सिडी पर खर्च बढ़कर 15 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगा। फाइनेंस डिपार्टमेंट ने यह भी कहा है कि कर्ज के माध्यम से योजना को लागू करना वित्तीय तौर पर व्यवहारिक नहीं होगा।

बहुत जल्दी कोई फैसला न लें- सीएम अतिशी

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग ने 6 दिसंबर को अपनी राय और सिफारिशें पेश करते हुए कहा कि इस तरह की योजनाओं पर ज्यादा मात्रा में खर्च अनुचित और जोखिम भरा होगा, खासकर जब दिल्ली को ज्यादा लागत वाले उधार का सहारा लेना पड़ता है। इस पर मुख्यमंत्री अतिशी ने पिछले हफ्ते फाइनेंस डिपार्टमेंट को 'बहुत जल्दी कोई फैसला न लेने' का निर्देश दिया था और फाइनेंस और प्लानिंग विभागों को प्रस्ताव पर विचार करने और तुरंत मंजूरी के लिए फीडबैक देने का निर्देश दिया था।

महिलाओं की कामकाज पर पड़ेगा असर

अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 9 दिसंबर को वित्त मंत्री को अपनी फीडबैक सौंपी हैं। वहीं, सूत्रों ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग, जो योजना को लागू कर रहा है और जिसने 4,560 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है, ने भी परियोजना के कई खामियों का खुलासा किया है- यह महिलाओं की कामकाज में हिस्सेदारी पर असर डालेगा। मार्च में 2024-25 के बजट में, दिल्ली सरकार ने पहली बार घोषणा की थी कि महिलाओं को 1,000 रुपये का मासिक भुगतान मिलेगा। हालांकि, तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल की आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी की वजह से योजना के काम काज को लेकर देरी हुई। 

लगभग 10 लाख महिलाएं शामिल होने की संभावना

दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अनुसार, प्रस्तावित योजना का लक्ष्य 3 लाख रुपये से कम की वार्षिक परिवारिक आय वाली महिलाएं हैं और इसमें लगभग 10 लाख महिलाएं शामिल होने की संभावना है। साथ ही महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे कई राज्यों ने महिलाओं के लिए इसी तरह की योजनाएं शुरू की हैं। 

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सूत्रों ने कहा कि योजना के अपने फायदे हैं लेकिन कई कमियां भी हैं। इसलिए, यह कहना कि मासिक भत्ता देने से महिलाओं की गरिमा बढ़ेगी और उनकी फैसला लेने की क्षमता बढ़ेगी, यह साबित नहीं होता है। इसके अलावा, प्रस्ताव में दी गई राशि नीजि तौर पर खास बदलाव लाने की उम्मीद नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, डब्ल्यूसीडी विभाग ने इस बात पर गौर किया है कि योजना का महिलाओं की लेबर फॉर्स में हिस्सेदारी पर अलग प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि मासिक मानदेय किसी को भुगतान वाले रोजगार की तलाश से लोगों का निराश कर सकता है।