IP University: आईपी यूनिवर्सिटी में ग्रीन क्रेडिट्स पर कार्यशाला का आयोजन किया। यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ इन्वायरॉन्मेंट मैनेजमेंट स्थित सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी एंड क्लाइमेट चेंज (CSCC) ने नॉलेज पार्टनर ईएचएस गुरु सस्टेनेबल सोल्यूशन के सहयोग से द्वारका कैम्पस में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

विशेषज्ञों ने लिया भाग

इस कार्यशाला में पर्यावरण प्रबंधन से जुड़े देश के विभिन्न हिस्सों से आए हुए विशेषज्ञों ने भाग लिया। ईएचएस की ओर से इसके कार्यकारी निदेशक मुनीश कुमार, सलाहकार शिखा शर्मा, रितिका त्रिपाठी और सुनंदा साहू ने इस कार्यशाला में भाग लिया। सस्टेनेबिलिटी के विशेषज्ञ बिप्रा चक्रवर्ती ने भी शिरकत की। CSCC की प्रमुख प्रो. अनुभा कौशिक ने बताया कि ग्रीन क्रेडिट्स के विभिन्न पहलुओं पर इस कार्यशाला में चर्चा हुई।

विभिन्न पहलुओं पर हुई चर्चा

मौसम परिवर्तन एवं सस्टेनेबिलिटी के मद्देनजर प्रो. एक्टिव रोल के लिए नीति, नियम-कानून और इसके लिए जरूरी तौर-तरीकों पर गहन विमर्श हुआ। ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम की शुरुआत हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण प्रबंधन के लिए एक जीवन शैली विकसित करने के लिए की है।

कार्यशाला का मकसद

इस प्रोग्राम का मकसद लोगों को ज्यादा से ज्यादा आम जीवन में पर्यावरण हितैषी कदम उठाने के लिए जागरूक करना था। यूनिवर्सिटी के कुलपति पद्मश्री प्रो. डॉक्टर महेश वर्मा ने कहा कि जैसे हम दूसरी चीजों का प्रबंधन करते हैं वैसे ही पर्यावरण प्रबंधन की आदत हमें डाल लेनी चाहिए। तभी हमें अपनी जीवनशैली की जरूरत के लिए अनुकूल पर्यावरण मिलेगा।

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियां

वृक्षारोपण
सतत कृषि
वायु प्रदूषण में कमी लाना
जल प्रबंधन
अपशिष्ट प्रबंधन
टिकाऊ भवन और बुनियादी ढाँचा।
मैंग्रोव संरक्षण और पुनर्स्थापना
इको मार्क लेबल का विकास।

ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के लाभ

-यह वनों को एक वस्तु के रूप में व्यापार करने की अनुमति देता है।

-वन विभाग को पुनर्वनीकरण की अपनी जिम्मेदारियों में से एक को गैर-सरकारी एजेंसियों को आउटसोर्स करने की अनुमति देता है।

-पारंपरिक वन क्षेत्र के बाहर व्यक्तियों द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करेगा।

-यह सतत विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करेगा।