किसानों का दिल्ली कूच एक बार फिर से सुर्खियों में है। आज, किसानों ने नोएडा के रास्ते दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश की, जिससे नोएडा में भारी जाम लग गया। हालांकि, बाद में किसानों ने दिल्ली कूच का प्लान रोक दिया और सरकार से बातचीत करने की बात अड़े हैं। किसानों नें दलित स्थल पर बने रहने का फैसला लिया है।
क्यों कर रहे हैं किसान प्रदर्शन?
किसान अपनी कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें खास तौर से नए कृषि कानूनों के तहत मुआवजे और लाभ की मांग शामिल है। किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनके साथ किए गए वादों को पूरा नहीं किया है। किसान भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन, मुआवजे की बढ़ोतरी, रोजगार के अवसर और पुनर्वास जैसे मुद्दों पर सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) के नेतृत्व में किसान अपनी 5 प्रमुख मांगों को लेकर संसद मार्च की तैयारी कर रहे थे।
किसानों की 5 प्रमुख मांगे:
- पुराने अधिग्रहण कानून के तहत 10 प्रतिशत भूखंडों का आवंटन और 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा: किसानों का कहना है कि उन्हें नए कृषि कानूनों के तहत उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है।
- भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास के लाभ: किसानों की मांग है कि सरकार भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास के अवसर प्रदान करे।
- हाई पावर कमेटी की सिफारिशें लागू की जाएं: किसानों का कहना है कि सरकार को हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को लागू करना चाहिए।
- आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण: किसानों की मांग है कि आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण किया जाए।
- किसानों को रोजगार एवं पुनर्वास का लाभ दिया जाए: किसानों का कहना है कि सरकार को उन्हें रोजगार और पुनर्विकास के लाभ देने चाहिए।
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आखिर क्या है पूरा मामला?
किसान पिछले कुछ समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कई बार दिल्ली कूच करने की कोशिश की है, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोका है। आज भी किसानों ने नोएडा के रास्ते दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किसानों की मांगों पर क्या कार्रवाई करती है। किसानों ने सरकार से बातचीत का प्रस्ताव दिया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है या नहीं।
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