Chor Minar History: दिल्ली में रहने वाले लोगों ने अभी तक कई ऐतिहासिक स्थलों के बारे में सुना होगा। लेकिन, आज हम आपको चोर मीनार के बारे में बताएंगे। साथ ही, इसमें बने 225 छिद्रों के महत्व के बारे में बताएंगे, जिनके इतिहास के बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। चोर मीनार का इतिहास अलाउद्दीन खिलजी से जुड़ा हुआ है।
चोर मीनार का इतिहास
चोर मीनार का इतिहास दिल्ली से जुड़ा है, जिसे आज ज्यादातर लोगों ने भुला दिया है। दिल्ली पर राज करने वाले अलाउद्दीन खिलजी वंश से चोर मीनार का इतिहास जुड़ा है और यह 14वीं सदी में बनी मीनार है। मीनार ऊंचाई दूर से ही नजर आ जाती है और इसे धनुषाकार गेट जैसी आकृति वाले एक मंच पर बनाया गया है।
चोर मीनार में मौजूद 225 छेदों का राज
कुतुब मीनार की तरह चोर मीनार बहुत ऊंची इमारत नहीं है। लेकिन मीनार पर बने कुल 225 छिद्र हैं, जो इस मीनार को रहस्यमय बनाते हैं। अलाउद्दीन खिलजी इन छिद्र का इस्तेमाल चोरों के कटे हुए सिरों को लटकाने के लिए करता था ताकि आगे किसी भी लुटेरे या चोर की ऐसी हिम्मत न हो।
चोर मीनार की कहानी मंगोलों से जुड़ी
चोर मीनार की कहानी मंगोलों से जुड़ी हुई है। साल 1305 में अली बेग की छापेमारी के दौरान 8000 मंगोल कैदियों को मार दिया गया था। मीनार पर बने इन छिद्रों से उन्हीं मंगोलों के सिरों को लटकाया गया था। यही वजह है कि चोर मीनार को अंग्रेजी में द टावर ऑफ बीहेडडिंग यानी सिर कलम करने की मीनार भी कहा जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि चोर मीनार को सिर कलम करने के लिए ही बनाया गया था। कहा यह भी जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी नहीं चाहता था कि मंगोल सिर उठाएं, इसलिए उसने निर्दयता से मंगोलों के सिर कलम करके इस मीनार पर टांग दिए गए थे। हालांकि, इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि खिलजी ने सभी मंगोलों के सिर कलम किए या फिर लुटेरों और चाेरों को सबक दिखाने के लिए इस मीनार का निर्माण कराया था। हालांकि जिस तरह से इसे चोर मिनार नाम दिया, उससे ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह मीनार चोरों को सबक सिखाने के लिए बनवाई गई थी।
हौज खास में स्थित चोर मीनार
चोर मीनार साउथ दिल्ली के हौज खास में स्थित है। यह हफ्तेभर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहती है। यहां पर जाने के लिए आपको हौज खास मेट्रो स्टेशन उतरना होगा और वहां से 5 से 7 मिनट की दूरी पर चोर मीनार स्थित है।