AI Pollution Control: दिल्ली में वायु प्रदूषण की हालात नाजुक है। सरकार एक के बाद एक कई फैसले ले रही है, ग्रैप-स्टेज 4 लागू किया जा चुका है, लेकिन फिर भी प्रदूषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोगों का खुले वातावरण में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। लोग बीमार पड़ रहे हैं, आंखों में जलन हो रहा है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सका है। लेकिन आपको बता दें कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आसानी से प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सकता है, आज हम आपको इसके लिए 7 जरूरी स्टेप बताने वाले हैं।
AI की मदद से प्रदूषण कंट्रोल करने के ये 7 तरीके
1. वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान मॉडल: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस मॉडल से हम मौसम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। इस मॉडल के जरिए ऐतिहासिक और वास्तविक समय के आंकड़ों की जांच करके वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान लगाया जाता है, जिसके आधार पर समय रहते जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे प्रदूषण कंट्रोल करने में मदद मिल सके।
2. स्मार्ट एयर प्यूरीफायर: यह एक ऐसी एआई मशीन है, जो सेंसर से लैस होती है। वह वास्तविक समय में एयर प्यूरीफायर प्रदूषण के स्तर का पता लगा सकते हैं और एयर को जरूरत के मुताबिक प्यूरीफायर भी कर सकते हैं। इसे अपने घर के प्रवेश द्वार पर लगाकर प्रदूषण से राहत पाई जा सकती है।
3. प्रदूषण मानचित्रण ड्रोन: ड्रोन के बारे में आप लोग भी जरूरत जानते होंगे, लेकिन तकनीक के इस दुनिया में AI से लैस ड्रोन भी आ गए हैं, जो आसमान में उड़कर प्रदूषण का जायजा लेता है और हॉटस्पॉट जगहों का एक रोड मैप भी तैयार करता है। इस ड्रोन के जरिए मिले रिपोर्ट की मदद से जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं।
4. एआई-संचालित यातायात प्रबंधन: ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए भी हमें एआई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए, जो ट्रैफिक सिग्नल पर खुद ही सिग्नल देते रहे और गाड़ियों को आवाजाही सुचारू रूप से चलाए, ताकि जाम ना लगे, जिससे प्रदूषण कम हो सकता है। ट्रैफिक जाम भी प्रदूषण का एक फैक्टर होता है।
5. सेंसर नेटवर्क: प्रदूषण की पल-पल की जानकारी पाते रहने के लिए शहर में जगह-जगह सेंसर नेटवर्क लगा सकते हैं, इससे हर जगह की विस्तृत रिपोर्ट मिलती रहेगी। यह विश्लेषण और हस्तक्षेप के लिए वास्तविक समय का डेटा भी मुहैया करा सकता है, जो काफी मददगार साबित होगा।
6. मशीन लर्निंग: कंपनियों में चलने वाली मशीनों के कारण भी प्रदूषण होता है, इसके लिए हमें एआई की मदद से मशीन लर्निंग एल्गोरिदम पर फोकस करना चाहिए, जिससे प्रदूषण कम से कम हो। अगर हम तमाम मशीनों का इस्तेमाल कुछ इस तरह करेंगे कि प्रदूषण कम हो, इससे हम स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकते हैं।
7. जन जागरूकता चैटबॉट: एआई का चैटबॉट हर इंसान को किसी पर्सनल गाइड की तरह सचेत कर सकता है और हर वो कदम उठाने की या फिर सावधानी बरतने की सलाह देता है, जिससे प्रदूषण कंट्रोल में रहे। यह स्वास्थ्य संबंधी सुझाव से लेकर टिकाऊ जीवन शैली के बारे में भी बताता है।
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