Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद एक बार फिर से उनके इस्तीफे को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया। सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच यही चर्चा हो रही है कि क्या अब अरविंद केजरीवाल सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे? अगर नहीं देंगे तो अब तिहाड़ जेल से सरकार चलाना कितना चुनौतीपूर्ण होगा? इन सभी सवालों का जवाब तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में दिया है।जेल से सरकार चलाने की प्रक्रिया पर तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि यह बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि सीएम के साथ एक निजी स्टाफ होना चाहिए।
सीएम पद चलाए जानें की तिहाड़ में सुविधा नहीं
सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि तिहाड़ में 16 जेल हैं और ऐसा कोई भी नहीं है, जहां से मुख्यमंत्री पद चलाया जा सकता है। इसके लिए सभी नियमों को तोड़ना पड़ता है। कोई भी इतने सारे नियमों को तोड़ने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने कहा कि सरकार चलाने का मतलब सिर्फ फाइलों पर हस्ताक्षर करना नहीं है। सरकार चलाने के लिए कैबिनेट की बैठकें बुलाई जाती हैं, मंत्रियों से सलाह ली जाती है और बहुत सारे कर्मचारी होते हैं।
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इसके अलावा एलजी के साथ बैठकें या टेलीफोन पर बातचीत होती है। जेल में टेलीफोन की सुविधा नहीं है। जनता समस्या निवारण के लिए मुख्यमंत्री से मिलने आती है, उनकी शिकायतों के बारे में जेल में सीएम कार्यालय बनाना असंभव है। जेल में कैदी हर दिन 5 मिनट के लिए अपने परिवार से बात कर सकते हैं और यह सब रिकॉर्ड किया जाता है।
15 अप्रैल तक तिहाड़ में रहेंगे सीएम केजरीवाल
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 10 दिन ईडी की रिमांड के बाद आज 1 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। ईडी के वकील ने केजरीवाल की एक सप्ताह की और रिमांड की मांग की, लेकिन कोर्ट ने ईडी की मांग को न मानते हुए सीएम केजरीवाल को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब सीएम दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहेंगे। सीएम केजरीवाल ने कोर्ट से तीन किताबें देने का अनुरोध किया है। वो किताबें भागवत गीत, रामायण और नीरजा चौधरी द्वारा लिखी गई 'हाऊ प्राइमिनिटर्स डिसाइड है। लिंक पर क्लिक कर खबर को विस्तार से पढ़ें