JNU News: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के एक प्रोफेसर को जापानी महिला शोधार्थी से छेड़छाड़ करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। यह फैसला बुधवार (16 अप्रैल) की शाम को बैठक के बाद लिया गया। बता दें कि प्रोफेसर स्वर्ण सिंह इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और डिसआर्मामेंट के विभाग में कार्यरत था। शिकायत के बाद काफी लंबे समय से इस मामले की जांच चल रही थी, जिसके बाद आरोप की पुष्टि होने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
कौन हैं प्रोफेसर स्वर्ण सिंह?
जेएनयू के ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, स्वर्ण सिंह स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, ऑर्गनाइजेशन एंड डिसआर्मामेंट में प्रोफेसर हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री लेने के बाद जेएनयू से इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी की डिग्री हासिल की। इतना ही नहीं, प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने स्वीडन की उप्साला यूनिवर्सिटी से कॉन्फिलिक रिजॉन्यूशन में पोस्ट-डॉक्टरल डिप्लोमा भी किया है।
इसके अलावा स्वर्ण सिंह ने इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालाइसिस में साल 1992 से लेकर 2001 तक काम किया है। इसके बाद वे साल जेएनयू में शामिल हुए थे। साथ ही उन्होंने साल 2006 में एसोसिएशन ऑफ एशियन स्टडीज के चेयरमैन और साल 2008 में इंडियन कांग्रेस ऑफ एशियन एंड पेसिफिक स्टडीज के जनरल सेक्रेटरी के पद पर भी काम किया।
ये है पूरा मामला
JNU के सूत्र बताते हैं कि बैठक के दौरान जापानी छात्रा के साथ पॉलिटिक्स और डिसआर्मामेंट के विभाग के प्रोफेसर ने छेड़छाड़ की थी। छात्रा ने इस मामले की सूचना भारत से लौटकर जापान में दी और शिकायत दर्ज कराई, जापान के दूतावास ने भारत सरकार को इस पूरे मामले कि सूचना दी। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर आंतरिक जांच शुरू की गई। साथ ही JNU के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कोई अकेला मामला नहीं बल्कि प्रोफेसर के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें मिली हुई हैं।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने महिला की शिकायत को गंभीरता को देखते हुए उसका बयान दर्ज कर अपनी रिपोर्ट कार्यकारी परिषद को सौंपी। रिपोर्ट की जांच के आधार पर प्रोफेसर को नौकरी से हटाने का निर्णय लिया गया। इस फैसले को कार्यकारी परिषद की बैठक में लिया गया।
सूत्रों ने बताया कि आरोपी प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को विश्वविद्यालय की अपीलीय समिति के समक्ष अपील करने या अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है। इस बीच, पर्यावरण विज्ञान विभाग के एक अन्य संकाय सदस्य को एक शोध परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त कर दिया गया और मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है। रिसर्च प्रोजेक्ट पर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के बाद दो नॉन-टीचिंग स्टाफ को भी बर्खास्त कर दिया गया है