JNU Presidential Debate: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में कल बुधवार को छात्रसंघ के चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था। ऐसे में बुधवार रात को प्रेसिडेंशियल डिबेट यानी अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के बीच होने वाली खुली बहस हुई। जिसमें सभी संगठनों के प्रत्याशियों ने अपने विजन प्रस्तुत किए। इस डिबेट में छात्रों के मुद्दों के साथ-साथ सीएए, फिलिस्तीन, यूक्रेन युद्ध, किसान और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे से पूरा कैंपस गूंज उठा। इस दौरान सभी उम्मीदवारों ने विश्वविद्यालय से संबंधित मुद्दे भी उठाए। वहीं, समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार आराधना यादव के भाषण पर छात्रों का जोश हाई हो गया और जोर जोर से नारे लगने लगे।
सपा कैंडिडेट ने की डिबेट की शुरुआत
डिबेट की शुरुआत समाजवादी छात्र सभा की अध्यक्ष पद की प्रत्याशी आराधना यादव ने की। आराधना ने कहा कि मैं आजमगढ़ के उस इलाके से आती हूं, जहां आज भी महिलाओं का घर से निकलना पढ़ाई लिखाई के लिए दिल्ली आना और एक विश्वविद्यालय में दाखिला लेना सपने जैसा है। आराधना ने कहा कि मैं फिलिस्तीन की उन महिलाओं और बच्चों को इस मंच का समर्थन देती हूं जो अपनी जमीन और अपनी आजादी की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
फिलिस्तीन का मुद्दा उठाते हुए आराधना यादव ने कहा कि मैं फिलिस्तीनियों का समर्थन करते हुए यह कहना चाहती हूं कि आप लोग इसी तरह संघर्ष करना और गुलामी कभी स्वीकार मत करना क्योंकि हम भारतीयों ने गुलामी देखी है। हम गुलामी का मतलब क्या होता है अच्छी तरह से जानते हैं।
आराधना यादव ने बेरोजगारी महिला सुरक्षा एवं महिला सशक्तिकरण, बीएचयू में गैंगरेप, मनुवाद और विश्वविद्यालयों में पिछड़े वर्ग के अध्यापकों के ना चुने जाने जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। इसके साथ ही उन्होंने महिला आरक्षण बिल का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के महिला आरक्षण बिल में स्मृति ईरानी के लिए तो जगह है, लेकिन भगवतिया देवी के लिए जगह क्यों नहीं है।
RJD के उम्मीदवार ने उठाए यूक्रेन के मुद्दा
वहीं, छात्र राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार अफरोज आलम ने गाजा पट्टी व यूक्रेन के युद्ध का मुद्दा उठाते हुए फिलिस्तीन और यूक्रेन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मैं गाजा पट्टी व यूक्रेन के युद्ध में मारे जा रहे लोगों के साथ खड़ा हूं। इसके साथ ही बेरोजगारी का जिक्र करते हुए अफरोज ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।
आलम ने विश्वविद्यालय में पिछड़ों के लिए सहायक प्रोफेसर के पदों में भर्ती में भेदभाव का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि '2019 से पहले देश के विश्वविद्यालय में ओबीसी प्रोफेसर की संख्या बहुत कम थी और अभी भी जो भर्ती हो रही है उनमें दलित और पिछड़े प्रोफेसर की भर्ती पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अधिकतर पिछड़े और दलित पदों पर आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को नॉट फॉर सूटेबल कर दिया जाता है और उस पोस्ट को छोड़ दिया जाता है।
संयुक्त वाम गठबंधन ने उठाए ये मुद्दे
इसके साथ ही संयुक्त वाम गठबंधन के उम्मीदवार धनंजय ने अपने भाषण की शुरुआत ‘लाल सलाम’ से की। उन्होंने विश्वविद्यालयों द्वारा लिए गए हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (HEFA) लोन के कारण बढ़ी हुई फीस पर चिंता जताई। इसके अलावा उन्होंने बेरोजगारी, भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश के माध्यम से शिक्षा के व्यावसायीकरण का मुद्दा भी उठाया।
उधर, NSUI के उम्मीदवार जुनैद रजा और बीएपीएसए के विश्वजीत मिंजी ने भी जोशीले भाषण दिए। इस दौरान उन्होंने वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों दलों की जमकर आलोचना की। मिंजी ने छात्र समुदाय से उन्हें वोट देने की अपील की।
वहीं, ABVP के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार उमेश चंद्र अजमीरा ने चुनाव में जीत का भरोसा जताया और छात्र संगठन के शासन के तहत विकास और छात्रों के अधिकारों की वकालत की।
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रामासुब्रमण्यन ने की डिबेट की अध्यक्षता
बता दें कि डिबेट की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन ने की। पिछले हफ्ते दिल्ली हाईकोर्ट ने इस साल के जेएनयूएसयू चुनावों के लिए उन्हें पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। इस प्रेसिडेंशियल डिबेट को देखने के लिए झेलम लॉन में छात्रों की एक बड़ी भीड़ उमड़ी थी। डिबेट के दौरान लॉन में जमकर नारेबाजी भी हुई। सभी संगठनों ने कार्यकर्ताओं ने जमकर नारे लगाए। बताते चलें कि छात्रसंघ के चुनाव के लिए 22 मार्च को मतदान होगा और 24 मार्च को नतीजे आएंगे।