Delhi Riots 2020: दिल्ली दंगे को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट का फैसला, 57 लोगों के खिलाफ आरोप तय

Karkardooma Court decision on Delhi Riots 2020
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दिल्ली दंगा 2020 मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट का फैसला।
Delhi Riots 2020: दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट ने 57 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने गवाहों के बयान के आधार पर आरोप तय किए हैं।

Delhi Riots 2020: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साल 2020 में दंगे हुए थे। इसको लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने चांद बाग और मुख्य वजीराबाद रोड इलाके में हिंसा, आगजनी, मारपीट, तोड़फोड़ और हमला करने जैसे तमाम गंभीर आरोपों में 57 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि ये कोई आकस्मिक भीड़ नहीं थी, बल्कि ये लोग उद्देश्य के साथ इन लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई थी। ये लोग तबाही मचाने वहां पहुंचे थे।

दर्जनों गवाहों ने दिए बयान
न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि प्रथम दृष्टया में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। दर्जनों गवाहों ने यह पुष्टि की है कि ये सभी आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे। इन गवाहों ने कोर्ट को बताया कि आरोपी दंगाइयों ने एक ट्रक, टू-व्हीलर और गोदाम को आग के हवाले किया था। इसके साथ ही इन आरोपियों ने आम नागरिक ओमप्रकाश को रोककर उसके साथ मारपीट की। आरोपियों ने जिस तरह की हरकत की, वो हिंसा फैलाने और दिल्ली की कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाने वाली थीं।

57 लोगों पर ये आरोप तय
कोर्ट ने आरोपियों पर से IPC की आपराधिक धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित) के आरोप से राहत दे दी। हालांकि कोर्ट ने दूसरे तमाम आरोपों में उन्हें दोषी माना है। कोर्ट ने माना कि ये भीड़ साफ तौर पर हिंसा फैलाने की नीयत से ही इकट्ठी हुई थी। बता दें कि कोर्ट ने IPC की धारा 323 यानी चोट पहुंचाना, धारा 148 यानी हथियार के साथ दंगा करना, 341 यानी गलत तरीके से किसी को रोकना, 149 के तहत गैरकानूनी जमावड़ा, 435 और 436 यानी आगजनी से संपत्ति और मकान को नुकसान पहुंचाना और धारा 188 यानी सरकारी आदेश का उल्लंघन के तहत आरोप तय किए गए हैं। कोर्ट की तरफ से ये टिप्पणी की गई कि ये दंगा महज गुस्से या उत्तेजना में नहीं हुआ था। इस दंगे के पीछे एक साफ इरादा और मंशा थी।

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