Logo
History Of Tis Hazari: दिल्ली के तीस हजारी इलाके का नाम तो आपने सुना ही होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस इलाका का नाम तीस हजारी ही क्यों पड़ा। जानते हैं इसके पीछे की रोचक कहानी...

History Of Tis Hazari: राजधानी दिल्ली में कई जगह पर्यटन का केंद्र बन चुका है। जहां दुनिया भर से रोजाना लाखों लोग आते हैं। वहीं, दिल्ली के कई जगहों के नाम के पीछे रोचक इतिहास है। इसी में से एक है, दिल्ली का तीस हजारी इलाका। यहां एक अदालत है जिसका नाम तीस हजारी कोर्ट है। जहां कई बड़े मामलों में सुनवाई होती है।

अगर आप दिल्ली में रहते हैं, तो कभी न कभी इस इलाके में जरूर गए होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस इलाके का नाम तीस हजारी ही क्यों पड़ा। आज हम आपको इस जगह के नाम की रोचक कहानी के बारे में बताएंगे।

कैसे पड़ा तीस हजारी नाम

दिल्ली में रहने वाले कम ही लोगों को तीस हजारी के इतिहास के बारे में पता होगा। इस इलाके में पहले आज की तरह लोग नहीं रहते थे। यहां पहले खाली मैदान हुआ करता था, जिसमें तीस हजार सिखों ने अपना डेरा डाला था। इस जगह को तीस हजार सिखों के बल से अपना नाम मिला है, जिन सैनिकों ने दिल्ली पर हमला करने से पहले 1783 में जनरल बघेल सिंह धालीवाल के यहां डेरा डाले हुए थे।

इसलिए ये इलाका तीस हजारी कहलाने लगा। वहीं, कुछ लोग ये भी मानते हैं कि यहां सिर्फ 4 हजार सिख फौजियों ने डेरा डाला था। लेकिन सिख फौजियों के अस्तबल में 30 हजार घोड़ों थे, इसलिए इसका नाम तीस हजारी पड़ा।

मुगल बादशाह ने की सिखों की मांग पूरी

इतिहास में सरदार बघेल सिंह के नेतृत्व में 30,000 बहादुर सिखों की फौज ने यहां कैम्प लगाया था। मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के शासनकाल में सिख सैनिक महीनों तक यहां डटे रहे थे। इन सरदारों की मांग थी कि दिल्ली में सिख गुरूओं से जुड़ी जगहों की तलाश और वहां गुरूद्वारे बनाने की इजाजत दी जाए।

सिख फौजियों से मुगल बादशाह इतना डर गए कि उन्होंने लाल किले पर कब्जा न करने के शर्त पर सरदार बघेल सिंह की मांग मंजूर कर ली। इतना ही नहीं मुगल बादशाह ने 4 साल दिल्ली में रहने वाले सिख फौजियों के खर्च की भरपाई भी मुगल खजाने से की थी।

30 हजार पेड़ों था वाला बाग

कहा ये भी जाता है कि जिस जगह पर तीस हजारी कोर्ट है, वहां कभी शहजादी जहांआरा बेगम ने तीस हजार पेड़ों वाला बाग लगवाया था। इसे तीस हजारी बाग कहा जाता था। जिस जगह पर सेंट स्टीफन्स अस्पताल है इसी के आस-पास के इलाके में तीस हजारी बाग हुआ करता था। यहां नीम के पेड़, रंग-बिरंगे फूलों की क्यारियों, फव्वारों और तालाबों वाला कई एकड़ में फैला हुआ बाग था।

Also Read: Kaithal News: यात्रिगण कृपया ध्यान दें, कुरुक्षेत्र-नरवाना रेल मार्ग पर अब बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार

इतिहासकार स्टीफन पी ब्लेक ने अपनी किताब शाहजहानाबाद द सॉवरिजन सिटी इन मुगल इंडिया 1639-1739 में भी इस बाग का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि शाहजहां ने काबुल दरवाजे के बाहर नीम के पेड़ों वाला एक बाग बनवाया था, जो कि तीस हजारी बाग कहलाता था। औरंगजेब की बेटी जीनत-उल-निसा बेगम और मोहम्मद शाह की बेगम मलिका जमानी को भी वहीं दफनाया गया था।

5379487