Chandni Chowk History in Hindi: दिल्ली की सबसे फेमस बाजारों में से एक चांदनी चौक अपने कई खूबियों को चलते देशभर में जानी जाती है। यह मार्केट काफी पुराना है, इसका नाम सभी के जुबान पर रटा रहता है। यहां की दुकानें टेढ़ी मेढ़ी संकरी गलियों में हैं। जो किसी अजूबे से कम नहीं है। यहां पर सस्ती से सस्ती और मंहगी से मंहगी सामान मिलते हैं। इसके साथ ही यह बाजार खाने पीने के लिए भी लोगों के बीच काफी मशहूर है।

इस मार्केट में भारत के ही नहीं विदेशी लोग भी शॉपिंग करने के लिए आते हैं। चांदनी चौक चार अलग-अलग हिस्सों में बाटा गया है जिसमें उर्दू बाज़ार, जोहरी बाज़ार, अशरफ़ी बाज़ार और फ़तेहपुरी बाज़ार शामिल है। चांदनी चौक का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है। अगर आप नहीं जानते हैं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं।

कैसे बना चांदनी चौक बाजार

चांदनी चौक लाल किले के पास स्थित है। इसे पहले शाहजहांनाबाद के नाम से जाना जाता था। दरअसल, शाहजहां की बेटी जहांआरा को खरीदारी का बहुत शौक था। वह देश-विदेश की अलग-अलग बाजारों से सामान खरीदने जाया करती थीं। शाहजहां को अपनी बेटी से बहुत ही प्यार था। जब उन्हें को शाहजहांनाबाद के शौक के बारे में मालूम हुआ तो उन्हें एक ऐसी बाजार बनाने की सोची जहां पर जरूरत का हर सामान मिल जाए। इसलिए उन्होंने इस बाजार को बनवाया।

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चांदनी चौक नाम कैसे पड़ा

वहीं, अब चांदनी चौक के नाम के पीछे की कहानी की बात करें तो यह बहुत ही दिलचस्प है। इस नाम के पीछे की दो कहानियां जुड़ी हैं। पहली कहानी ये है कि चांदनी चौक बाजार उस दौर 40 गज से ज्यादा चौड़ा और 1520 गज में फैला हुआ था। इसका डिजाइन इस तरह बनाया गया था कि बीच में जगह छूटे तो वहां यमुना नदी के पानी से भरा एक तालाब जैसी आकृति वाला हिस्सा था जहां चांद की रोशनी चमकती थी। चांद की इस रोशनी से पूरा बाजार जगमगा उठता था और इसलिए ही इसे चांदनी चौक का नाम दिया गया।

वहीं, इसके नाम के पीछे की दूसरी कहानी भी रोचक है। कहा जाता है कि इस बाजार के बसने के बाद ज्यादातर व्यापारी चांदी का कारोबार करते थे। कम समय में इस कारोबार ने जोर पकड़ लिया था। देशभर से लोग यहां चांदी खरीदने आने लगे। चांदी का कारोबार चांदनी चौक की मुख्य पहचान बन गया। कहा जाता है कि इसके बाद ही इस बाजार को चांदनी चौक बाजार के नाम से पहचाना जाने लगा।