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दिल्ली के LG वीके सक्सेना ने मंगलवार को परिवार कल्याण विभाग की निदेशक वंदना बागला, जो स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) का अतिरिक्त प्रभार भी संभालती हैं, को निलंबित कर दिया। स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उन्हें इस बारे में सूचना नहीं दी।

DGHS Director Controversy: दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मंगलवार को फैमिली वेलफेयर विभाग की निदेशक और स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक (DGHS) का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहीं वंदना बग्गा को निलंबित करने का आदेश जारी किया। इस पर स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उन्हें इस निलंबन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही स्वास्थ्य सचिव ने इस पर कोई चर्चा की। एलजी कार्यालय ने इस मामले में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

निलंबन का कारण: लैब सेवाओं के लिए टेंडर को लेकर विवाद

एलजी कार्यालय के विशेष सचिव (विजिलेंस) डॉ. अजय कुमार बिष्ट द्वारा जारी आदेश के अनुसार, वंदना बग्गा के खिलाफ अनुशासन से जुड़ी जांच भी प्रस्तावित की गई है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि बग्गा ने स्वास्थ्य मंत्री द्वारा अप्रूव्ड लैब सेवाओं के आउटसोर्सिंग के लिए टेंडर जारी नहीं किया और न ही दवाओं की खरीद के लिए एक अन्य टेंडर को अंतिम रूप दिया। इन मामलों में मुख्यमंत्री और मंत्री लगातार प्रगति की समीक्षा कर रहे थे।  

वंदना बग्गा का आरोप: निलंबन राजनीति से प्रेरित  

वंदना बग्गा ने अपने निलंबन को मनमाना करार देते हुए आरोप लगाया कि यह फैसला दिल्ली चुनाव में एक विशेष राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह निलंबन स्वास्थ्य विभाग के कामों में बाधा डालने और राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम है।  

स्वास्थ्य विभाग का तर्क: योजनाओं में बाधा बनने का आरोप  

डीजीएचएस के निलंबन से जुड़े फाइल नोटिंग में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वंदना बग्गा, विभाग प्रमुख (HOD) होने के बावजूद, विभाग की हर योजना में बाधा बन रही थीं। फाइल नोटिंग में यह भी कहा गया कि उन्होंने विभाग की योजनाओं को क्रियान्वित करने में सहयोग नहीं किया और उनका रवैया योजनाओं को लागू करने में रुकावट डालने वाला था।

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स्वास्थ्य मंत्री ने उठाए सवाल  

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह मामला सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है, लेकिन उन्हें इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने इसे नियमों के खिलाफ बताया और कहा कि बिना मंत्रालय को सूचित किए ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए था। इस निलंबन के बाद दिल्ली की राजनीति में विवाद गहराता दिख रहा है। विपक्ष ने इसे सरकार और एलजी के बीच तालमेल की कमी का परिणाम बताया, जबकि सत्ताधारी दल ने इसे राजनीतिक चाल करार दिया।

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