MCD Survey Report: दिल्ली नगर निगम (MCD) के एक हालिया सर्वे के मुताबिक, दिल्ली की सड़कों पर कुल 41,870 पेड़ हैं। इनमें से सबसे अधिक पेड़ सेंट्रल जोन में हैं, जहां 78,381 पेड़ हैं। इसके बाद केशवपुरम में 64,383, साउथ जोन में 63,686, रोहिणी में 55,866, नरेला में 33,522, शाहदरा साउथ में 31,145, शाहदरा नॉर्थ में 30,589 और करोल बाग में 25,122 पेड़ हैं। सर्वे के मुताबिक, सबसे कम पेड़ नजफगढ़ जोन में 1,857 और सिविल लाइन जोन में 3,641 हैं।
डी-कंक्रीटाइजेशन का काम जोरों पर
दिल्ली नगर निगम के इंजीनियरिंग विभाग की तरफ से पेड़ों की जड़ों से कंक्रीट हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है, ताकि पेड़ों की वृद्धि सही तरीके से हो सके। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी कि ज्यादातर डी-कंक्रीटाइजेशन का काम दक्षिण, सेंट्रल और आसपास के इलाकों में पूरा हो चुका है और दूसरे इलाकों में जल्द ही यह काम शुरू होगा।
हाईकोर्ट की सख्ती, अगली सुनवाई जनवरी 2025 में
हाईकोर्ट के पर्यावरण संरक्षण के आदेशों की अनदेखी पर सख्ती बरतते हुए एमसीडी और लोक निर्माण विभाग (PWD) को चेतावनी जारी की गई थी। कोर्ट ने 60 साल पुराने एक पीपल के पेड़ के मामले में भी धीमी प्रगति पर कड़ी आलोचना की। कोर्ट ने एमसीडी को पहले भी इस पर कार्रवाई का आदेश दिया था, जो पिछले दो साल से भी ज्यादा समय से लंबित था।
NGT की रिपोर्ट में आठ पेड़ों पर मिली अनियमितता
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अगस्त महिने में दिल्ली वन विभाग ने NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) को रिपोर्ट दी, जिसमें निजामुद्दीन ईस्ट और जंगपुरा इलाकों में आठ पेड़ों के आसपास एक मीटर से भी कम दूरी पर कंक्रीट पाया गया। एमसीडी अधिकारियों पर इस लापरवाही के लिए जुर्माना भी लगाया गया था।
सितंबर में MCD और PWD को अवमानना नोटिस
सितंबर में कोर्ट ने एमसीडी और पीडब्ल्यूडी के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था। यह नोटिस पेड़ों के चारों ओर कंक्रीट हटाने के आदेशों के बावजूद हालात में सुधार न होने पर दिया गया था। अदालत ने कहा कि पेड़ों के आसपास का कंक्रीट हटाकर उन्हें "सांस लेने की जगह" देना जरूरी है, जो नागरिकों के स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार है।
पेड़ों के बचाव में प्रशासनिक जागरूकता
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और हरियाली की घटती मात्रा को देखते हुए, यह कार्य न केवल पर्यावरण के प्रति एक बड़ी जिम्मेदारी है, बल्कि कोर्ट द्वारा लगातार इसकी निगरानी भी की जा रही है। उम्मीद है कि आने वाले समय में दिल्ली के सभी 250 से अधिक इलाकों में यह काम पूरा कर पेड़ों को सुरक्षित और बेहतर वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा।