Fake Medicine Row: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नकली दवाओं के मामले में अब केजरीवाल सरकार की मुश्किलों में इजाफा होने वाला है। सरकारी अस्पतालों से लिए गए नमूनों को टेस्टिंग के लिए भेजा गया था। हालांकि, कुछ सैंपल जांच में फेल हो गए थे। इसके बाद उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने मामले में गृह मंत्रायलय से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। एमएचए ने आज सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी है। 

क्या था मामला

दिल्ली विजिलेंस डिपार्टमेंट की एक जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली की सरकारी लैब में भेजे गए 43 नमूनों में से 3 नमूने मानक गुणवत्ता पर खरे नहीं उतर पाए। निजी लैब में भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से 5 नमूने फेल हो गए। विजिलेंस डिपार्टमेंट ने सिफारिश की थी कि 10 फीसदी से ज्यादा सैंपल सही नहीं पाए गए। इसलिए विभाग को सैंपलिंग का दायरा बढ़ाना चाहिए। बता दें कि ये दवाएं सरकार की केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा खरीदी गई थीं और सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों को आपूर्ति की गई थीं। 

ये दवाएं लैब टेस्ट में फेल

आबादी के एक बड़े समूह द्वारा उपयोग की जाने वाली एंटासिड और एंटी-हाइपरटेन्सिव दवाओं से लेकर उन दवाओं तक जिनका बड़े पैमाने पर कोविड-19 के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इनके अलावा कई जरूरी दवाएं भी टेस्ट में सफल नहीं हो पाई थीं। सेफैलेक्सिन, डेक्सामेथासोन, एम्लोडिपाइन, लेवेतिरासेटम, पैन्टोप्राजोल दवाएं शामिल हैं।

साथ ही, मिर्गी के दौरान दी जाने वाली दवा भी फेल हो गई। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश करना चिंताजनक है। ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं। दवाओं की खरीद में भारी भरकम बजट के आवंटन पर भी चिंता व्यक्त की गई। वहीं, आप ने कहा था कि स्वास्थ्य सचिव को तुरंत पद से बर्खास्त कर देना चाहिए।