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CBSE Board: सीबीएसई ने नई शिक्षा के नीति के तहत छात्रों के रिपोर्ट कार्ड में बदलाव को लेकर अहम फैसला लिया है। इस बदलाव के द्वारा फाउंडेशन स्टेज के छात्रों के मूल्यांकन का नया पैटर्न अगले सत्र से लागू किया जाएगा। जिसमें अभिभावकों का फीडबैक शामिल होगा।    

CBSE Board: अब सीबीएसई की ओर से बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में अभिभावकों का फीडबैक भी शामिल किया जाएगा। बच्चों के आल राउंड डेवलपमेंट के लिए शिक्षक और अभिभावक अपनी जिम्मेदारी साझा करेंगे। सिर्फ यह कहने से काम नहीं चलेगा कि बच्चा पढ़ाई में अच्छा है या बुरा। इसके लिए सबूत भी रखना होगा। कुल मिलाकर बच्चे में पूरी समझ पैदा कर उसे परफेक्ट बनाने की जिम्मेदारी होगी, ताकि वह आगे की कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सके।

नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति के तहत मूल्यांकन का नया पैटर्न अगले सत्र से लागू किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है और उनके लिए गाइड बुक तैयार की गई है। उन्हें बताया गया कि बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए सिलेबस कैसे तैयार करना है और उसके अनुसार कैसे काम करना है। समग्र प्रगति कार्ड बनाना होगा।

ऐसे होगा मूल्यांकन

फाउंडेशनल स्टेज पर दो प्रोटोटाइप विकसित किए गए है। समग्र रिपोर्ट कार्ड मूलभूत चरण (आयु समूह 3 से 6 साल) और समग्र प्रोग्रेस कार्ड ग्रेड एक और दो। यह कार्ड आगे स्पेसिफिक कम्पेटेन्स पर ध्यान देने के साथ नियमित और रचनात्मक तरीके से बच्चे के प्रोग्रेस का डॉक्यूमेंटेशन करने में मदद करेगा। कार्ड में बच्चे, उसके साथियों के साथ-साथ उसके माता-पिता के इनपुट भी शामिल होंगे। इससे बच्चे का 360 डिग्री मूल्यांकन हो सकेगा।

बोर्ड ने जारी की गाइड बुक

बोर्ड ने सामान्य तौर पर ग्रेड 1 और 2 के लिए शिक्षक दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें बताया गया कि शिक्षक की भूमिका क्या होगी. सिलेबस के साथ उस पर व्यक्तिगत ध्यान कैसे दें। इसमें व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ पढ़ने, लिखने और बोलने के कौशल को भी शामिल किया जाएगा। विदेशों की तरह यहां भी न्यूमेर सी पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इससे बच्चा शुरू से ही भाषा के स्तर और गणित में बेहतर प्रदर्शन करने वाला बन सकेगा।

सीबीएसई के लिए अच्छी शुरुआत

सीबीएसई स्कूलों के स्थानीय समन्वयक सरदार बलविंदर सिंह के अनुसार नई शिक्षा नीति के तहत ये प्रयास किए जा रहे हैं। बोर्ड इस पर पहले से ही काम कर रहा है। उनके स्कूल गुरु नानक मॉडर्न स्कूल को भी चुना गया, जहां इसे प्रयोग के तौर पर लागू किया गया और सफल रहा है। अब इसे सभी स्कूलों में शुरू किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। बोर्ड ने गाइडबुक भी जारी की है। इस शुरुआत उद्देश्य बच्चों के मन से पढ़ाई का डर खत्म करना और तनाव मुक्त शिक्षा प्रदान करना है।  

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