Organ Donation: 'जीवन जीते रक्तदान मरणोपरांत अंगदान' करने से बड़ा कोई दान नहीं है। हमारे जीवन में इससे खूबसूरत पल क्या हो सकता है कि हमारे न रहने के बाद भी हमारी हमारे शरीर के किसी भी अंग से किसी को नया जीवन मिल जाए। दरअसल, AIIMS में दो लोगों के अंगदान से ये चमत्कार हुआ है। यहां 8 लोगों को नया जीवन मिल गया है। इसके अलावा 4 लोगों की आंखों की रोशनी भी वापस आई है। AIIMS जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में 42 और 27 साल के दो मरीजों की मौत होने के बाद उनके अंगों को दान किया गया, जिसकी वजह से ये मुमकिन हो पाया।
परिजनों के समझाने के बाद हो सका संभव
एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉ. कामरान फारुकी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब दो अंगदान एक ही साथ हुए। दोनों अंगदान से दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में एडमिट मरीजों में अंग ट्रांसप्लांट किए गए। जानकारी के अनुसार 27 साल के सौरभ और 42 साल की चंदा के ब्रेन डेड होने के बाद एम्स ट्रॉमा सेंटर की काउंसलिंग टीम ने उनके परिजनों को मरीज के ब्रेन डेड होने की स्थिति और अंगदान के बारे में समझाया।
काउंसलिंग के बाद अंगदान के लिए तैयार हुए परिजन
काउंसलिंग के बाद परिजन अंगदान के लिए तैयार हुए। सौरभ के अंगदान से चार और चंदा के अंगदान से चार मरीजों को नई जिंदगी मिली। जिसमें दो हार्ट, दो लिवर और 4 किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। वहीं, दोनों से मिले कॉर्निया को प्रिजर्व कर दिया गया है, जिसे बाद में इस्तेमाल किया जाएगा।
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एम्स में तीन कीड़नी, एक लीवर और एक हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। आठ में से पांच मरीजों की जिंदगी एम्स में ही बची है। एक हार्ट आर्मी हॉस्पिटल में एडमिट मरीज में ट्रांसप्लांट हुआ। इस साल एम्स में इन दोनों को मिलाकर कुछ छह अंगदान हुए हैं। इसके अलावा आईएलबीएस अस्पताल में एक लिवर और एक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया।