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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हिमाचल की ओर से छोड़ा गया 137 क्यूसिक अतिरिक्त पानी आज शाम तक दिल्ली पहुंच जाएगा। हरियाणा ने भी इसकी राह सुगम बना रखी है। बावजूद इसके सियासत थमने का नाम नहीं ले रही। पढ़िये इस राजनीति के पीछे की वजह...

Politics on Delhi Water Crisis: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हिमाचल प्रदेश की ओर से दिल्ली के लिए छोड़ा गया 137 क्यूसिक अतिरिक्त पानी आज शाम तक वजीराबाद बैराज तक पहुंच जाएगा। दिल्ली सरकार ने इस अतिरिक्त पानी का इस्तेमाल करने की प्लानिंग भी तैयार कर ली है। उधर, हरियाणा भी सुचारू रूप से जलप्रवाह को सुगम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। बावजूद इसके दिल्ली और हरियाणा सरकार के बीच पानी को लेकर सियासत चल रही है। वह भी तब, जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को पानी पर टकराव न करने की सलाह दी थी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट दोबारा से इस मामले पर सुनवाई करके ताजा स्थिति की समीक्षा करेगा। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि दिल्ली से हिमाचल का पानी मिलने के बाद पेयजल संकट पूरी तरह खत्म हो जाएगा या फिर राजनीति जारी रहेगी। पहले बताते हैं कि दिल्ली को कितने अतिरिक्त जल की जरूरत है।

दिल्ली को इतने करोड़ लीटर पानी की जरूरत

दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक, राज्य को प्रतिदिन 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है। एक गैलन में करीब चार लीटर पानी होता है। गर्मियों में दिल्ली को केवल 96.9 करोड़ गैलन पानी की रोजाना आपूर्ति हो रही है। देखा जाए तो दिल्ली की सवा दो करोड़ आबादी को रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी चाहिए, लेकिन आपूर्ति केवल 96.9 करोड़ गैलन पानी ही मिल पा रहा है।

दिल्ली को यूपी से गंगा नदी, हरियाणा से यमुना नदी और पंजाब से भाखरा नांगल का पानी मिलता है। 2023 की एक रिपोर्ट बताती है कि यमुना से 38.9 करोड़ गैलन, भाखड़ा नांगल से 22.1 करोड़ गैलन और गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन पानी क्रमश: हरियाणा, पंजाब और यूपी से रोजाना दिल्ली को मिलता है। इसके अलावा भूमिगत जलस्रोतों से 9 करोड़ गैलन पानी दिल्ली को मिलता था।

दिल्ली की जलमंत्री आतिशी का दावा है कि इस बार दिल्ली को केवल 96.9 करोड़ पानी ही मिल पा रहा है। उधर, हरियाणा का दावा था कि हम दिल्ली को अपने हिस्से का पर्याप्त पानी दे रहे हैं। इस पर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार पानी की बर्बादी रोकने की बजाए राजनीति कर रही है। अब हिमाचल की ओर से अतिरिक्त 137 क्यूसिक पानी मिलने से दिल्ली के लोगों को खासी राहत मिलेगी, लेकिन पानी पर राजनीति जारी रहने की शत प्रतिशत संभावना है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी नहीं रखा ख्याल

सुप्रीम कोर्ट ने छह जून को दिल्ली पेयजल संकट पर सुनवाई करते हुए हिमाचल को आदेश दिया था कि इस पूरे महीने रोजाना 137 अतिरिक्त पानी दिल्ली के लिए छोड़ना है। साथ ही, हरियाणा को आदेश दिया था कि हिमाचल से वजीराबाद तक इस पानी में बाधा नहीं आनी चाहिए। यही नहीं, दिल्ली सरकार को भी चेतावनी दी थी कि किसी भी तरह से पानी की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को चेताया था कि पानी के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन, विडंबना है कि आदेश के एक दिन बाद ही इस पर राजनीति शुरू हो गई।

बीजेपी और आप आपस में भिड़ी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आम आदमी पार्टी और बीजेपी आपस में भिड़ गईं। दिल्ली की जलमंत्री आतिशी ने वजीराबाद बैराज का दौरा किया और हरियाणा पर पानी किल्लत का षड्यंत्र रचाने का आरोप लगा दिया। पलटवार में दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी पेयजल संकट के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहरा दिया था। यही नहीं, आतिशी के इस आरोप पर हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि हम अपने हिस्से का पानी भी दिल्ली को दे रहे हैं, लेकिन बार-बार हम पर आरोप लगाया जा रहा है। दिल्ली और हरियाणा के बीच चल रही इस जुबानी जंग के चलते आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेयजल संकट को लेकर आगे भी इसी तरह की राजनीति देखने को मिल सकती है।

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