Kanwar Yatra: कांवड़ यात्रा शुरु होने में अभी डेढ़ महीने का समय है लेकिन राजधानी दिल्ली में इसकी तैयारी अभी से ही शुरु हो गई है। बीते दिन मंगलवार को राजस्व मंत्री आतिशी ने दिल्ली में सभी जिला अधिकारियों के साथ कांवड़ शिविर की तैयारियां को लेकर समीक्षा बैठक की। गौरतलब है कि हर साल सावन में लाखों श्रद्धालु हरिद्वार से जल लेने जाते है। ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा राजधानी में जगह-जगह कांवड़ शिविर लगाए जाते हैं, जहां पर कांवड़ियों के आराम करने के लिए हर जरूरी सुविधाएं की व्यवस्था की जाती है।

दिल्ली में लगेंगे 200 कांवड़ शिविर

दिल्ली में इस साल लगभग 200 कांवड़ शिविर लगाए जाएंगे। पूर्वी दिल्ली, उत्तरी पूर्वी दिल्ली और शहादरा जिले में कांवड़ियों के एंट्री पॉइंट होंगे। ऐसे में इन तीनों जिलों में सबसे ज़्यादा शिविर लगाए जाएंगे। जिससे कांवड़ियों को रुकने में किसी भी तरह की दिक्कत न हो। अधिकारियों के साथ बैठक में आतिशी ने कहा कि कांवड़ियों की सुविधा के लिए दिल्ली में जरूरत के आधार पर पर्याप्त कांवड़ कैंप लगाए जाएं। सभी शिविर में वाटर प्रूफ टेंट, फर्नीचर, शौचालय, पानी, मेडिकल सहित अन्य सभी सुविधाएं  भी मुहैया कराई जाए। 

शिविरों को डिस्पेंसरियां से जोड़ा जाएगा

इसके अलावा शिविर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा और चिकित्सा सुविधा देने के लिए उन्हें आसपास की डिस्पेंसरियां से भी जोड़ा जाएगा। किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए कैट्स एंबुलेंस की उपलब्धता होगी। साथ ही अस्पतालों को कांवड़ियों के इलाज के लिए विशेष प्रबंध करने के निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही कांवड़ शिविर से जुड़ी तैयारियों को लेकर आतिशी ने निर्देश दिए हैं कि अभी से शिविर के आयोजन तक हर जिलाधिकारी हर सप्ताह तैयारियों से जुड़ी रिपोर्ट सौंपे।

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क्यों निकाली जाता है कांवड़

ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम, शिव जी के परम भक्त थे। ऐसा कहा जाता है कि वे सबसे पहले कांवड़ लेकर बागपत जिले के पास 'पुरा महादेव' गए थे। उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा का जल लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था। उस समय श्रावण मास चल रहा था। तब से इस परंपरा को निभाते हुए भक्त श्रावण मास में कांवड़ यात्रा निकालने लगे।