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Fake Medicine Row: दिल्ली के एलजी ने सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा रही खराब गुणवत्ता की दवाओं की जांच CBI से कराने की सिफारिश की थी। इसकी मंजूरी गृह मंत्रालय ने दे दी है।

Fake Medicine Row: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में नकली दवाइयों के मामले की जांच गृह मंत्रालय ने सीबीआई को सौंप दी है। अब इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। आप और बीजेपी में वार-पलटवार हो रहा है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में घटिया दवाओं की कथित आपूर्ति की सीबीआई जांच का स्वागत किया और स्वास्थ्य विभाग के सचिव को तत्काल निलंबित करने की मांग की। इस संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक्शन लिया है।

सौरभ भारद्वाज बोले- स्वास्थ्य सचिव को बचा रही सरकार

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इस मामले में मोदी सरकार स्वास्थ्य सचिव को बचाने में लगी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि मंत्री बनते ही उन्होंने दवाओं के ऑडिट के निर्देश दिए थे, लेकिन नगर स्वास्थ्य सचिव ने ऑडिट नहीं करवाई। साथ ही, उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल से भी इसकी शिकायत की गई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव दीपक कुमार को तत्काल हटाए जाने की भी मांग की है।

एलजी ने की सीबीआई जांच की सिफारिश

दिल्ली के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली कई जरूरी दवाएं कथित तौर पर गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गई थीं। जरूरी गुणवत्ता मानकों से मेल खाने में फेल रहने वाली दवाओं की लिस्ट में स्टेरॉयड, मिर्गी-विरोधी दवाएं, एंटीबायोटिक्स, हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं भी शामिल हैं और यहां तक कि इन दवाओं के एंटासिड भी सरकारी और प्राइवेट लैब में भेजे गए। इन टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर, दिल्ली के सतर्कता विभाग ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में उनकी आपूर्ति को तत्काल रोकने की सिफारिश की थी। 

उपराज्यपाल विनय सक्सेना के कार्यालय ने कहा था कि दिल्ली सरकार के हॉस्पिटल को खराब गुणवत्ता वाली दवाएं मिल रही हैं। राजधानी में जांचे गए दवाओं के 10 फीसदी नमूने फेल हो गए हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश गृह मंत्रालय से की थी। एलजी ने यह कार्रवाई विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर की थी। साथ ही, दवाओं की खरीद में भारी भरकम बजट के आवंटन पर भी चिंता व्यक्त की गई। 

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